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Thursday 12 September 2013

दीदी को बिस्तर मै चोदा


हम दोनों बिस्तर पर रज़ाई डाले बैठे थे। अपने मोबाईल से खेल रहे थे। राहुल अपने दोस्तों की तस्वीरें दिखा रहा था। इतने में एक फोटो नंगी सी लगी।
"ये कौन है राहुल ... ?
" ये मैं हूँ ... देख मेरी बॉडी ... है ना सॉलिड ... !" उसने अपनी तारीफ़ की।
मैंने अंडरवियर की तरफ़ इशारा करके उसे छेड़ा,"और ये डंडा जैसा क्या है ... ?"
"चल हट ... ये तो सबके होता है ... " उसने झेंपते हुए कहा।
"पर इतना बड़ा ... "
"है तो मैं क्या करूं ... "
"ऐ ... मुझे बता ना कैसा होता है ये ... " मैंने उसे उकसाया।
"शरम आती है ... अच्छा पहले तू बता ... " राहुल ने शरमा कर कहा।
"हट रे ... लड़कियों के ये डन्डा नहीं होता है ... " मुझे सनसनी सी हुई।
"तो मुझे दिखा तो सही ... तेरे होता है, तू झूठ बोलती है ... " उसने मेरी चूत पर हाथ मारा ... और हाथ फ़ेर कर बोला "अरे हां यार ... ये कैसे ... " मुझे जैसे बिजली का करंट दौड़ गया। मेरा मुँह लाल हो गया। पर मैंने कोई रिएक्शन नहीं दिखाया।
"तेरे पास तो है ना ... " मैंने उसके लण्ड पर हाथ फ़ेरा। उसका लण्ड खड़ा हो गया था। वो भी एक बार कांप गया। उसने और फोटो निकाले।
"ये देख ... ये मेरा डन्डा है और ये देख ये रोहित का है ... " राहुल बताता जा रहा था, मेरे मन में खलबली मच रही थी।
इतने में मम्मी ने खाने के लिये आवाज लगाई ... "क्या कर रहे तुम दोनों ... चलो अब !"
हम दोनो रज़ाई में से निकल कर भागे ... "खाने के बाद और दिखाऊंगा ... !"
खाना खा कर हमने फिर से टीवी लगा दिया।
"हम सोने जा रहे हैं !"
" ... बत्ती बन्द करके सोना ... " कह कर मां ने अपना कमरा बन्द कर दिया।
हमने अपना कार्यक्रम जारी रखा।
हमने रज़ाई अब एक तरफ़ रख दी थी। उसका खड़ा हुआ लण्ड साफ़ दिख रहा था। उसने जानबूझ कर के अपना लण्ड नहीं छुपाया था। उसका मन था कि मैं उसका लण्ड पकड़ कर मसल डालूँ । मुझे सब पता था फिर भी राहुल को उकसाने के लिये मैंने भोलेपन का सहारा लिया।
"मैंने उसका लण्ड को छू कर कहा - "भैया ... इसे क्या कहते हैं ... ?"
"ये तो सू सू है ... !"
"नहीं ... और क्या कहते है ...? "
"वो ... देख गुस्सा नहीं होना ... इसे लण्ड कहते हैं !"
"हाय रे ... लण्ड ... ये तो गाली होती है ना ... और मेरी इसको ...? "
उसने मेरी चूत को छू कर और इस बार हल्का सा दबा कर कर कहा ... "इसको तो चूत कहते हैं ... " चूत छूते ही मेरे जिस्म में एक बार फिर से करण्ट दौड़ गया। मुझे इच्छा हुई कि साली को जोर से दबा दे।
"हाय रे ... चूत इसे कहते हैं ... और ये ... " मैंने बोबे की तरफ़ इशारा किया।
"उसने मेरे चूचक पर अपना हाथ रखते हुए और थोड़ा सा दबाते हुए कहा ... "ये इसे चूंची कहते हैं ... " वो जान कर मेरे अंगों को दबा दबा कर बता रहा था। मेरे शरीर में वासना दौड़ने लगी थी। राहुल का भी लण्ड फ़ड़फ़ड़ा रहा था। साफ़ ही दिख रहा था। मुझसे रहा नहीं गया। उसे हल्के से दबा ही दिया। राहुल सिसक पड़ा।
"बड़ा प्यारा है ना ... !"
"नेहा अपनी चूंची दिखा ना ...!"
"नहीं पहले तू अपना लण्ड दिखा ... !"
' दीदी शरम आती है ... अच्छा और हाथ से दबा ले ... !"
"ठीक है ... " मैंने उसका फिर से लण्ड पकड लिया ... और दबाने लगी। लण्ड दबाते हुये मेरे जिस्म में सनसनी फ़ैल गई। वो हाय हाय करने लगा।
"नेहा कितना मजा आता है ना ...! "
"बस कर ना ... अब तू चूंची दिखा।"
"नहीं तू भी हाथ लगा कर देख ले ... " उसने भी हाथ क्या रखा ... मेरे बोबे दबा ही डाले। मैं सिसक उठी।
"देख अब तो लण्ड दिखा ही दे ना प्लीज॥ ... " राहुल भी तो यही चाहता था कि कुछ और आगे बात बढ़े। उसने अपना पजामा नीचे उतार दिया और अपना कड़कता हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया। मेरी तो आह निकल गई। मन मचल गया।
"पकड़ लूँ ... ?" और उसके लण्ड को पकड़ लिया। एकदम गरम लोहे जैसा सख्त।
"अब तू अपनी चूत बता ... !"
"धत्त ... नहीं रे ... !"
"प्लीज बता दे, देख मैंने भी अपना लण्ड बताया ना ... " मेरे शरीर में जैसे चींटियाँ रेंगने लगी। मैंने अपना स्कर्ट उंचा कर दिया। मुझे ऐसा करने असीम आनन्द आने लगा। शरीर में सनसनी फ़ैलने लगी।
"पांव फ़ैला ना।" मैंने शरमाते हुए अपने पांव फ़ैला दिए। मेरी चूत की दो फ़ाकें और बीच में एक छेद ...
"हाथ लगा दूँ ... !" उसने अपनी अंगुली मेरी चूत पर घुमाई और छेद में घुसा दी ... मैं तड़प उठी। और झट से उसका हाथ हटा दिया पर सच में हटाना नहीं चाहती थी।
"चल बहुत हो गया ... अब सो जा ... बाकी कल करेंगे।" राहुल बत्ती बन्द करके आ गया और मेरे पास ही लेट गया।
"नेहा ... चूत में लण्ड कैसे जाता है ... तुझे पता है ... ?" अब मुझे मौका मिल ही गया। भैया को अब ज्यादा तड़पाना ठीक नही, मैंने सोचा अब चुदवाना ही ठीक है।
"नहीं रे ... तू कोशिश करेगा ... करके देख ... शायद लण्ड घुसेगा ही नहीं ... !" मुझे पता था, शायद उसे भी पता था ... कि घुसेगा कैसे नहीं।
"उसके लिये क्या करूँ ... कैसे घुसाऊँ ...? "
"ऐसा कर तू मेरे ऊपर आजा ... और लण्ड को चूत पर रख कर जोर लगा ... आजा ऊपर आजा ... और कोशिश करके देख ... !" मुझे सिरहन होने लगी थी ... कि ये चोद डालेगा ... !
वो नंगा तो था ही, मेरी टांगों के बीच में आ गया ... मेरा शरीर तो वासना के मारे कांप गया। अब लण्ड अन्दर घुसेगा ... इन्तज़ार था ... ।
उसने अपना लण्ड मेरी चूत पर रखा और जोर मारा। मेरी चूत तो पहले ही गीली हो चुकी थी। वो एकदम अन्दर घुस पड़ा। मैं तड़प उठी।
"पूरा नहीं गया है और जोर लगा !" अब मेरे ऊपर लेट गया और जोर लगा कर लण्ड पूरा घुसा दिया।
"दीदी इसमें तो बहुत मजा आ रहा है ... !"
"हां ... राहुल ... मुझे भी मजा आ रहा है ... और कर ... अन्दर बाहर कर ... " मैं तो पहले भी चुदवा चुकी थी ये तो एक बहाना था भैया को पटाने का।
उसने मुझे चोदना शुरु कर दिया। "हाय रे दीदी ... क्या मस्त है ... खूब मजा आ रहा है ...!"
"भैया ... और धक्के मार ... जोर से मार ... लगा यार ... हाय ... बहुत मजा देता है रे तू तो ... !"
"दीदी ... " उसने जोश में मेरे बोबे मसलने चालू कर दिये। उसके धक्के बढ़ते जा रहे थे ... मुझे जोर से जकड़ता भी जा रहा था। मैं आनन्द से निहाल हो रही थी। अब वो तेज और जल्दी जल्दी धक्के मार रहा था। अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ ... मुझे और चुदाई चाहिये थी पर अपने को रोक नहीं पाई। और झड़ने लगी ... इतने में राहुल भी मेरे से चिपट गया और उसके लण्ड ने माल उगल दिया। वो मेरे ऊपर ही पड़ गया।
"अरे हट ना राहुल ... ये क्या कर दिया तूने ...!"
"मुझे क्या पता ... अपन तो कोशिश कर रहे थे ना ... इसमें दीदी खूब ही मजा आता है ... और करें दीदी ...? "
"इसे चुदाई कहते हैं ... समझा ... और चोदेगा क्या ... ले आजा ... सुन पीछे भी तो एक छेद है ... उसमें इस बार कोशिश कर !" मैंने उसके लण्ड को मसलते हुए कहा।
"कहाँ दीदी गाण्ड के छेद में ...? "
" हां रे ... देख उसमें घुसता है या नहीं ... !" कुछ ही देर में वो फिर लोहे जैसा कड़क हो गया।
राहुल फिर एक बार और तैयार हो गया ... मैंने करवट लेकर अपनी चूतड़ को उसके लण्ड से सटा दिया। उसका लण्ड मेरी चूतड़ों की दरार को फ़ाड़ता हुआ गाण्ड के छेद से टकरा गया। मैंने अपनी गाण्ड ढीली कर दी। उसने कोशिश करके लण्ड गाण्ड में घुसा ही डाला। फिर मेरे दोनों बोबे थाम कर दबा दिये। और नीचे जोर लगा दिया। लण्ड अन्दर सरकने लगा। मुझे हल्का दर्द हुआ ... पर मजा तो आ रहा था ना। उसका लण्ड अब मेरी गाण्ड चोदने लगा। मुझे मजा आने लगा। गाण्ड के तंग छेद को उसका लण्ड नहीं सह पाया। तेज घर्षण के कारण उसका वीर्य एक बार फिर से छूट पड़ा।
"हाय दीदी ... मजा आ गया ... ! तुझे मजा आ रहा है ...? "
"भैया ... तू तो मजे की खान है रे ... अपन रोज़ ही ऐसा करेंगे ... बोल ना ... !"
"दीदी ... हां रोज ही करेंगे ... ! खूब मजे करेंगे ... !"
"देख मम्मी पापा को नहीं बताना ... वरना पिटाई हो जायेगी ...!"
"अरे मरना थोड़े ही है ... !"
"और चोदना है क्या ???"
"हां दीदी ... खूब चोदूँगा तेरे को ...! जोर जोर से चोदूंगा ... !"
"ले आजा ... फ़िर से चढ़ जा मेरे ऊपर ... और चोद दे ... !"
राहुल फिर तैयार था ... ...
मैंने अपनी टांगें फिर चौड़ा दी ... फिर एक बार गरम गरम लोहा मेरी चूत में उतरने लगा ...
मेरे दिल की इच्छा पूरी होने लगी ... ... मैं भैया से उस रात खूब चुदी ... उसने मेरा सारा चुदाई का खुमार उतार दिया।
सुबह हमारे बदन टूट रहे थे ... पर हम दोनों फिर से रात का इन्तज़ार करने लगे ...

Wednesday 11 September 2013

भाभी और उसकी बहिन को चोदा


जब मैं भाभी की गांड में ऊँगली कर रहा था तभी उसकी छोटी सिस्टर स्कूल से वहाँ आ गई और उसने हमको देख लिया और वो बेडरूम के बाहर चली गई और फिर थोड़ी देर बाद मैं और भाभी बेडरूम के बाहर आए तो वो सोफा पर बैठी हुई थी उसने हमको देख कर कहा कि तुम क्या कर रहे थे तो भाभी ने कहा कि तुम्हारे जीजू जो नहीं करते वो मैं ने इसके पास करवाया। तो उसने कहा कि मैं जीजू को बोल दूँगी पर भाभी घबराये बगैर कहने लगी कि कोई बात नहीं, मैं भी तुम्हारी सारी बातें जानती हूँ तो वो बोली कि कैसी बातें तो कहने लगी कि तुम बाथरूम में रोज क्या करती हो अपनी पुसी को रब करके उसमे उंगली रोज करती हो कि नहीं यह सुनकर वो घबरा गई, तो फिर भाभी कॉनफिडेंस में आ गई और कहने लगी कि तुम चाहो तो तुम भी मज़े ले सकती हो मुझे कोई प्राब्लम नहीं है। यह सुनकर मैं खुश हो गया कि चलो एक साथ दोनों बहनों को चोदने को मिलेगा और एक तो वरजिन है। फिर भाभी उसके पास जाकर बैठ गई और उसके स्कूल यूनिफॉर्म का स्कर्ट बहुत छोटा था उठा दिया तो मैं देख कर हैरान हो गया कि उसकी पेंटी एक दम भीगी हुई थी। तो भाभी ने कहा कि अभी तुम क्या कर रही थी हमको देख देख कर अपनी पुसी रब कर रही थी ना। और कहा कि चलो आज तुम भी पूरा मज़ा ले लो और उसकी पुसी को रब करने लगी
यह देख कर मेरा लंड फिर खड़ा हो गया और मैं सोफा के पीछे खड़े होकर उसके बड़े बड़े टाइट बूब को दबाने लगा। अब वो भी मस्ती में आने लगी एक तरफ भाभी उसकी पुसी को सक कर रही थी और दूसरी तरफ मैं बूब्स को दबा रहा था उसके बूब बहुत ही टाइट और मोटे थे। फिर वो बोली कि प्लीज़ मेरे बूब्स को सक करो फिर मैं सोफा पर आकर बैठ गया और उसका शर्ट उतार दिया और उसके बूब को सक करने लगा उसके बूब को सक कर कर एक दम रेड हो गया और उसकी पुसी ने भी पानी छोड़ दिया था अब वो एकदम हॉट हो चुकी थी। मैं उसके सारे बदन को सक कर रहा था। फिर मैं ने अपना पेंट उतारा और मेरा मोटा और लंबा लंड उसके मुँह में देने की कोशिश करने लगा तो वो मना करने लगी पर मैं ने कहा कि जब तक तुम इसको सक नहीं करोगी यह तुम्हारी पुसी में जाने से इनकार करेगा सो प्लीस इसको सक करो। फिर वो मेरे लंड को सक करने लगी और मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
अब मैं उसकी पुसी को सक करने लगा फिर एक बार उसकी पुसी ने पानी छोड़ दिया। भाभी ने कहा कि समीर जल्दी करो वरना कोई आ जाएगा अब यह एकदम तैयार है अपना कॉक इसकी पुसी में डालो। अब भाभी भी पूरी तरह न्यूड थी और वो भी अपनी पुसी में फिंगरिंग कर रही थी और अपनी सिस्टर को बोल रही थी कि चाटो मेरी पुसी को तुम्हारे जीजू तो इसको छूते ही नहीं है यह मुझे बहुत परेशान करती है। तो मैं ने भाभी को कहा कि तुम्हें जब भी अपनी पुसी और सारे बदन को चटवाना हो तो मुझे याद कर लेना मैं आपके सारे बदन को मसाज और चाटूँगा। तो बोली हाँ ज़रूर मैं अब तुमसे ही अपने बदन की मालिश और सक करवाउंगी। तुम इस काम में बहुत एक्सपर्ट हो। और कहा कि चलो अब इसकी पुसी की प्यास बुझा दो। यह भी बाथरूम में जा जा कर अपनी पुसी को रब करती और फिंगरिंग करती है तो वो बोली कि दीदी मैं तो जीजू और आपको रात को करते देख कर ही यह सब सीखू हूँ और मेरी पुसी में फिंगरिंग डालती हूँ। अब मुझसे इसकी खुज़ली बरदास्त नहीं होती, दीदी आप कुछ करो न। तो भाभी ने कहा की समीर जल्दी करो।
फिर मैं ने उसको सोफा पर ही लिटा दिया और उसके हिप्स के नीचे भाभी ने एक पिलो रखा क्यूंकि वो अभी वर्जिन थी। और मुझे कहा कि रोनू चलो और वो उसके मुँह के पास जाकर अपनी पुसी उसके मुँह पर रख दी और कहने लगी कि तुम इसको सक करो। मैं अपना लंड उसकी पुसी के सामने रखा और अंदर करने लगा पर उसकी पुसी बहुत ही टाइट थी वो अंदर नहीं जा रहा था यह देख कर भाभी ने कहा कि थोड़ा ज़ोर लगाओ मैंने ज़ोर लगाया पर वो अंदर नहीं गया तो भाभी ने कहा कि तुम्हारा बहुत मोटा है मैंने आज तक इतना मोटा लंड xxx मूवी में भी नहीं देखा है। और वो वहाँ से खड़ी हुई और बेडरूम में से क्रीम लेकर आई और थोड़ा मेरा लंड पर लगाया और थोड़ा अपनी सिस्टर की पुसी पर रब किया और फिर कहा कि अब अपना कॉक डालो। मैंने फिर ट्राइ किया और मेरा थोड़ा कॉक उसकी पुसी में गया तो वो रोने लगी कि मुझे दर्द हो रहा है तो भाभी ने कहा कि कुछ नहीं होगा और उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिए और मुझे इशारा किया कि अब डालो तो मैंने एक ज़ोरदार धक्का दिया और सारा लंड उसकी वर्जिन पुसी में डाल दिया वो चीख पड़ी पर भाभी के लिप्स होने से उसकी आवाज़ नहीं निकली पर उसके आंशु निकल गये वो रोने लगी। तो भाभी ने कहा कि कुछ देर तुम यूँ ही रहो इसकी चूत छोटी और टाइट है इसलिए।
फिर मैं करीब ५ मिनट यूँ ही रहा और फिर मूव होने लगा अब उसको भी मज़ा आने लगा और वो भी रेस्पोन्स देने लगी और कहने लगी कि ज़ोर से और ज़ोर से कई दिनों से मैं किसी के पास जाकर चुदवाने की सोच रही थी पर कोई मुझे मिला ही नहीं एक बार मैंने अपने लिफ़्टमैन के सामने भी अपने बूब्स दबाये थे कि यह देख कर वो मुझे छेड़े औए सेक्स करे पर उसकी वाइफ वहाँ आ गई। मैंने अपने बॉय फ्रेंड को भी कहा था पर उसका लंड तो बहुत छोटा था तुम्हारा रियली में बहुत सेक्सी और मोटा लंड है अब मैं इससे ही चुदवाउंगी। फिर मैं १५ मिनट स्ट्रोक लगाने के बाद पानी छोड़ने वाला था तो भाभी ने कहा कि रोनू बाहर पानी निकलना तो मैंने फॉरन अपना लंड बाहर निकाला और उसके मुँह में पानी छोड़ दिया और उससे कहा कि तुम्हारी पहली चुदाई का जूस है तुम पी जाओ तो वो सारा मेरा पानी पी गई और कहा कि बहुत टेस्टी है।किरपया  अपने  सुझाब  जरुर भेजे,,email--manojpyasa007@gmail.com

Wednesday 4 September 2013

अपनी दोनों बेहेन की चूत मारी

ये कहानी मेरी और गौरी की है। हम दोनो के नाम इसमें बदले हुए हैं। दरसल, गौरी मेरी मौसी की लड़की है। मेरी मौसी की लड़की यानी मेरी मम्मी की मौसी की लड़की की लड़की। गौरी मुझसे दो साल बड़ी है। गौरी के परिवार से हमारे बहुत अच्‍छे रिश्तें है। गौरी को मैं बहन ही मानता था। परन्तु, मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी और उसके बड़े भाई ने ही बिगाड़ा था।
गौरी की नानी मेरी नानी के घर के पास ही रहती थी। क्योंकि वो बहुत छोटी उम्र में ही विधवा हो गई थी। और उनके केवल दो लड़की ही थी। इसीलिए मेरे नाना उनको अपने पास ही लियाऐं थे। और उनको अपना एक घर भी दे दिया था। गौरी की नानी अकेली रहती थी। इसीलिए गौरी की मम्मी ने गाँव में नानी के पास अपनी बड़ी लड़की रानी को छोड़ दिया था।

हुआ यूँ कि एक बार मैं अपनी मम्मी के साथ नानी के घर गया। शाम को मैं नानी के घर से गौरी की नानी के घर चला गया। वहाँ पर मुझे गौरी की बड़ी बहन रानी मिली। रानी ने दरवाज़ा खोला और मुझको अंदर बुला लिया। मैं अंदर पहुँचा और एक खाट पर बैठ गया। वहीँ पर रानी भी मेरे पास बैठ गई। कुछ देर तो उसने मुझसे बात की। फिर थोड़ी देर बाद वो लेट गई और अपनी सलवार में हाथ डालकर हिलाने लगी। कुछ देर तो मैं भी यूँ ही देखता रहा और फिर मैंने पूछा के ये क्या कर रही हो। उसने कहा के मेरी चूत में खुजली हो रही है। मैं इसको खुज़ा रही हूँ। मैंने कहा ये चूत क्या होती है तो वो बोली अभी तू बच्‍चा है बड़ा हो कर जब चूत मारेगा तो सब समझ जाएगा।

मैंने कहा - मारेगा ? तो वो बोली हाँ तभी तो बच्‍चे पैदा होते है। मैंने कहा इसे कैसे मारते हैं? वो बोली किसी से तू कुछ कहेगा तो नही मैंने कहा नही। तो बोली वादा कर मैंने कहा वादा रहा। फिर उसने झट से अपनी सलवार उतार दी और मुझसे बिल्कुल चिपक गयी। मुझे कुछ पता ही नही था मेरी समझ में नही आ रहा था कि हो क्या रहा है। फिर मैं बोला ये क्या कर रही हो वो बोली चूत मारना सीखना है या नही मैं चुप रहा।

फिर वो बोली तू मुझको आज खुश कर दे फिर तुझको मैं गौरी की चूत भी दिलवा दूँगी मैंने कहा गौरी की? वो बोली हाँ। गौरी को कुछ दिन बाद एक लंड की जररूत होगी और तुझको एक चूत की। इसीलिए, तुम दोनो आपस में कर लेना। मैंने कहा अभी क्यों नही तो बोली अभी गौरी छोटी है। मैंने कहा कितने दिन और लगेंगे उसको वो बोली जब वो बडी होगी जब मैं तेरे से ही उसकी सील तुडवाऊंगी। अब तू चुप हो जा मुझको मज़ा आने लगा है।

फिर मैं चुप हो गया और उसे बस करते हुए देखता रहा उसने धीरे से मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरे लंड को निकालकर अपनी चूत पर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी और बीच-बीच में बोल रही थी कि खड़ा कर मुझे पता नही था कि खड़ा कैसे होता है। फिर उसने मेरे छोटे से लंड को अपनी चूत पर रखकर ज़ोर से झटका मारा पर मेरा लंड हल्का सा ही अंदर गया था वो बोली इसे अंदर डाल ना मैं भी कोशिश करने लगा तो मेरा लंड उसने हाथ से पकड़कर अंदर कर दिया। और धीरे धीरे हिलने लगी अब उसका पानी निकलने लगा था।

वो बोली मुझको मज़ा आ रहा है थोड़ी देर और अंदर की तरफ ज़ोर लगा और ऊपर-नीचे हो। मैंने ऐसे ही किया थोड़ी देर बाद फिर वो बोली अब हट जा मुझको तूने मज़ा दे दिया। और उसने मुझे अपने ऊपर से हटा दिया। फिर वो मेरे लंड को पकड़ कर बोली ये अभी छोटा है इसे बड़ा करना पड़ेगा। क्योंकि लंड जितना बडा और मोटा होता है उतना ही लडकी और औरत को मज़ा आता है औरत और लडकी को बार-बार चुदने के ‍लिए कहीं ओर नही जाना पडता और तुझको भी तो बहुत मज़ा आएगा। क्योंकि तेरा लंड भी तो टाईट और सही जायेंगा। जब लंड, चूत और गाँड में टाईट और सही जाता है तो फिर दोनो को खुब मज़ा आता है।

फिर उसने मेरे गीले लंड को अपने मुंह में ङाल लिया और उसे चाटने लगी और उसे आइस्क्रीम की तरह चूस भी रही थी। फिर दरवाज़े पर कोई आ गया। उसने मेरे लंड को मुंह से निकाला और पैंट के अंदर कर दिया और मुझ से बोली अपनी पैंट बंद कर ले। फिर वो उठी और सलवार का नाडा बाँधते हुए दरवाज़ा खोलने चली गयी। वहाँ पर एक पड़ोस का आदमी था। उन दोनो में कुछ बात हुई और वो चला गया फिर रानी अंदर आई।

मैं बोला अब गौरी की सील कब तुड़वाओंगी फिर वो बोली अभी तेरा बहुत छोटा है इसे बड़ा कर। मैंने पूछा ये बड़ा कैसे होगा। वो बोली- इसे चुसवाना मैंने कहा तो तुम्ही बड़ा कर दो वो बोली ठीक है। लेकिन जब तू मुझे मिलेगा तो मैं तेरा ये बड़ा करूंगी और तू मुझे खुश कर देना। मैंने कहा ठीक है। फिर मैं अपनी नानी के घर आया और रात को खाना खाकर सो गया। सुबह हम जल्दी उठे और अपने घर पर आ गये।

अब मेरा रानी से कोई कॉन्टेक्ट नही था। दो साल बाद मैं एक दिन गौरी के घर गया वहाँ पर मुझे गौरी का बड़ा भाई मिला। वो दिन राखी का दिन था। गौरी की गली की एक लड़की आ‍ई हुयी थी जो गौरी की सहेली थी। उसका नाम अंजू था। अंजू का रंग एक दम गोरा बिलोरी आँखें चूची छोटी छोटी बाल लंबे उसने एक महरुन फ्राँक पहन रखा था। फिर कुछ देर बाद गौरी के घर पर हम छुपा छुपी का गेम खेलने लगे।

गौरी, मैं, गौरी का बड़ा भाई, अंजू और गली के कुछ बच्चे। मैं, अंजू और गौरी बड़ा भाई एक स्टोर रूम में छुप गये। वहाँ पर मैंने देखा के गौरी का बड़ा भाई अपना लंड निकल कर खड़ा था। उसका लंड बहुत बड़ा था। और वो अंजू को अपनी तरफ खींच रहा था। अंजू मना कर रही थी। और कह रही थी की गॅप सब को बता देगा। फिर गौरी के बड़े भाई ने मुझसे पूछा के तू बताऐंगा तो नही। मैंने कहा एक शर्त पर, अगर मुझे भी सिख़ाओगे तो वो बोला ठीक है। रात को सब कुछ बता दुंगा।

फिर उसने अंजू की फ्राक ऊपर की और उसकी कच्‍छी उतार दी। वो संदूक पर बैठा और अंजू को अपने ऊपर बैठा लिया और अंजू को ऊपर-नीचे करने लगा। कुछ देर बाद मुझे रानी की लंड बड़ा करने की बात याद आ गई। मैं भी अंजू के मुहूँ में लंड देना चाहाता था पर दरवाज़े पर खट खट की आवाज़ हुई अंजू एक दम खड़ी हो गई और अपनी कच्‍छी ऊपर की और हम सब बाहर आ गये।

अब गौरी के बड़े भाई की ढूंढने की बारी थी। अब की बार मैं और अंजू उस ही स्टोर में छुप गये। मैंने धीरे से अंजू का हाथ पकड़ लिया। वो अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश करने लगी। मैंने उससे पूछा की तुम क्या कर रहे थे। वो बोली तेरा भाई मेरी चूत मार रहा था। मैंने कहा अच्‍छा तो ये बात है। फिर वो बोली तू भी मेरी चूत मारेगा क्या। मैंने कहा नही मुझे तो अपने लंड को बड़ा कराना है। वो बोली अच्‍छा तो लंड चूसवाना चाहता है। चल ठीक है, वो बोली निकाल अपना लंड देखो कितना बड़ा है। मैं बोला खुद ही निकाल ले।

उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लंड निकाल लिया। जैसे ही उसने मेरे लंड को छुआ तो मेरा लंड बड़ा हो गया और एक रोड के समान सखत हो गया। फिर मुझे अच्छा भी लगने लगा तो बोली तेरा लंड तो बड़ा हो गया मैंने कहा इसे और बड़ा कर। तो वो बोली, किसी को मारेगा क्या फिर वो मेरे लंड को चूसने लगी। करीब पाँच मिनट बाद वो बोली क्या पहली बार कर रहा है। तो मैंने उससे रानी के बारे में बता दिया। तो वो बोली रानी ने अपने भाई के साथ ही कर लिया। तो मैंने कहा तू भी तो भाई को राखी बाँधती है। वो बोली हम सगे तो नही है। मैंने कहा हम भी सगे नही है। फिर वो बोली चल बाहर चल वरना सब को शक हो जाऐगा।

फिर हम बाहर आ गयें और अंजू अपने घर जाने लगी। अंजू बोली गॅप घर आ जाना मैंने कहा ठीक है। रात को मैं और गौरी का बड़ा भाई अंजू के घर चले गये। अंजू के घर पर केवल वो और उसकी छोटी बहन ही थी। फिर मैंने भाई से कहा मुझे भी सीखना है। वो बोला अभी रूक जा उसकी छोटी बहन को सो जाने दे। रात को करीब एक बजे अंजू हुमारे पास आ गई।

अब भाई मुझसे बोला तूने कभी चूत देखी मैंने कहा नही तो अंजू हँस पड़ी। मैं उसकी हँसी का मतलब समझ गया था। क्योंकि मैंने शाम को उसे रानी के बारे में बताया था। फिर भाई ने उसकी फ्राक ऊपर की और मैंने देखा कि अंजू ने फ्राक के नीचे कुछ भी नही पहन रखा था। फिर भाई ने उसे लिटाया और उसकी टांग ऊपर कर के चौडा दी। फिर वो बोला देख ये होती है चूत।

मैने देखा कि अंजू की चूत एक दम गुलाबी थी और उस पर घूघंराले बाल थे। फिर भाई बोला - बहन की लोड़ी ! मैंने तुझसे कहा थे के बाल साफ कर लेना।

वो बोली - बहन के लंड ! तूने मुझको टाइम ही कहाँ दिया।

फिर भाई बोला बहनचोद आज तेरी चूत ना फाडी तो मैं भी मर्द नही।

इतने में अंजू ने मुझे अपनी तरफ खींचा और बोली - तेरा लंड बड़ा करूं और उसने मेरी पैंट उतार दी। और अंडर‍वियर के बीच में हाथ डालकर लंड निकाल लिया।

फिर भाई से बोली - ओऐं बहन के लौड़े ! जल्दी से चोद। मुझे वापिस अपनी बहन के पास जाना है। फिर वो बोला ठीक है।

भाई ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे चूत मारने का तरीका बताने लगा। भाई ने अंजू की चूत की दोनो तरफ की खाल अलग कर दी। अब उसकी चूत साफ दिख रही थी। भाई ने अपना लंड उसकी गुलाबी चूत के लाल दाने पर रखा और एक ज़ोर से झटका दिया। अंजू को बहुत दर्द हुआ। उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अपना सर इधर उधर हिलाने लगी। और उसकी चूत से खून भी निकल रहा था। फिर भा‍ई थोड़ी देर रुका। अंजू भी मुझे देख रही थी और मुझे भी मज़ा देना चाहती थी पर दर्द के कारण कुछ कर नही पा रही थी। फिर कुछ देर बाद उसका दर्द बंद हुआ। फिर वो बोली कर ना ! जल्दी मुझे जाना है। और वो मेरा लंड पीने लगी अब मुझे और भी अच्छा लग रहा था। फिर भाई उसे चोदने लगा। कुछ देर बाद अंजू के मुँह से निकाला के ज़ोर से चोद मेरी चूत फाड़ और वो मेरे लंड को जोर से और पागल की तरह चूस रही थी। फिर वो भाई से बोली लंड निकाल मैं झडने वाली हूँ। भाई ने अपना लंड निकाला तो भाई के लंड से सफेद पानी निकला।

मैं बोला ये क्या है तो भाई बोला - इसी से बच्‍चे बनतें है। इसी तरह का पानी इसकी चूत छोड़ रही है। फिर मैंने कहा मुझे देखना है तो भाई ने अंजू की टांग ऊपर की और उसकी चूत फाड़कर दिखाने लगा। तो अंजू की चूत से खून और सफेद पानी निकल रहा था। वो बोला आज इसकी सील टूटी है। इसी लिए इसकी चूत से खून निकल रहा है।

फिर मैं अंजू के पास गया और अंजू अपने आप ही मेरे लंड पकड़ कर चूसने लगी कुछ देर बाद मुझे अंदर कुछ अच्छा महसूस हुआ और मेरा सारा पानी अंजू के मुँह में निकल गया। वो बोली ये क्या किया गंदा ना हो तो। मैंने कहा मुझे पता ही नही चला। फिर वो उठी और अपने आप को साफ करके और अपने कपडे सही करके चली गई।

अब मुझे गौरी के बारे में ख्याल आने लगा कि मैं भी उसकी सील तोड़ूंगा। क्योंकि मुझे गौरी की बड़ी बहन ने वादा किया था। फिर उस रात मैंने भाई से सारा गुप्त ज्ञान ले लिया। और उसके बाद उसकी बहन गौरी को और रानी को, अपनी बुआ को, पडोस की तीनो बहुओं को, अपनी सग़ी चाची को, अपने मामा की लड़की को, अपनी दो मेडम को, अंजू को, अपने गुरु की तीसरे नंबर की लडकी को चोदा और इनके अलावा भी कईयों को चोदा है।जब मैने गौरी की बड़ी बहन रानी और बड़े भाई से सब गुप्त ज्ञान ले लिया तो मुझे भी चूत और गांड मारने की इच्‍छा होने लगी। अब बस मैं गौरी के बारे में ही सोच रहा था की किसी दिन वो मेरे पास सो जाए। क्योंकि गौरी की बड़ी बहन की बात मेरे मन में घर कर गई थी। अब तो गौरी मुझे और भी अच्‍छी लगने लगी थी। बस अब तो मैं गौरी की चूत को और गांड को मारना चाहता था। पर ऐसा हुआ नही। क्योंकि उसके मम्मी और पापा बहुत सख्त है।

दो साल बाद, एक दिन मैं गौरी के घर गया। गौरी घर पर अकेले ही थी। वो घर का सारा काम कर रही थी। उसने अपने स्कूल की ड्रेस पहन रखी थी सफेद स्कर्ट और सफेद कमीज़। कमीज़ कुछ हल्के कपड़े में थी इसी लिए ज़हाँ भी उस पर पानी गिरता वहीं से सब कुछ दिखाई देने लगता। अचानक उसके हाथ से मग्गा छूट गया। और उसके उपर पानी गिर गया तो मैंने देखा गौरी ने तो सफेद ब्रा पहननी शुरू कर दी है। उसने अपने उपर के दो बटन भी खोल दिए और मुझे उसने देखा भी पर मेरी हिम्मत नही हो रही थी। मैं तो बस इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह गौरी मेरे पास सोए तो मैं उसके साथ कुछ करूं।

अब जैसे ही गौरी मग्गा उठाने के लिए नीचे झुकी तो उसकी कमीज़ भी गले से अलग हो गई और उसकी अंदर से सफेद ब्रा साफ दीख रही थी। मैं तो उसकी ब्रा देखता ही रहा क्योंकि ब्रा का साइज़ बहुत बड़ा था। क्योंकि उसकी चूची उस से भी बाहर आ रही थी। उसकी बड़ी और गोरी चूची और भी अच्छी लग रही थी। मन तो कर रहा था कि उसकी दोनो चूची को बहुत तेज़ दबाकर उन में भरा सारा दूध निकालकर पी जाऊं। लेकिन क्या करता मजबूर था कि कही वो शोर ना मचा दे।

उस रात मैं गौरी के घर पर ही रुका था। और उसके बड़े भाई के साथ ही सो रहा था और वो मुझे अभी भी गुप्त ज्ञान की बात बता रहा था। सुबह को जब मैं उठा और नहाने के लिए गया। तो गौरी की ब्रा कपड़ो पर पडी हुई थी। मैंने उसे उठाया सफेद ब्रा क्या लग रही थी। वो सूती कपडे की थी। और फिर उसे चूमा और फिर उसे अपने लंड पर भी घुमाया उसका साइज़ देखकर मैं तो दंग रह गया। उसका साइज़ 36”था। मैं नहा कर बाहर आया और अपने घर आ गया।

उसके बाद कई बार और कई जगह पर गौरी‍ मिली पर मैं उससे इस बारे में बात नहीं कर सका। बस मैं ही जानता हूँ कि मैंने वो दो साल ‍िकस तरह से बिताए। फिर मैं एक दिन गौरी के घर गया तो मैं, गौरी और मौसी रात को सोने के लिए ऊपर चले गये। वो दिन आज तक मुझको याद है। गौरी और मेरे बीच में मौसी सो रही थी। मैं तो बस अब इसी इंतज़ार में था कि किसी तरह हमारे बीच से मौसी हट जाएँ पर मौसी वही पर मुझसे बात करती रही और गौरी सो गयी। फिर मैंने भी मौसी से कहा के मुझे भी नीद आ रही है। और मैं सोने का बहाना करने लगा पर मुझे नीद नही आ रही थी।

फिर रात को एक बजे मौसी उठ कर नीचे चली गयी। मैं भी उठ कर नीचे देखने लगा और मैंने देखा की मौसी, मौसा के पास चली गयी। और उनकी खाट पर ही लेट गयी। मौसा मौसी के कपड़े उतार कर उन को चूम रहे थे। अब उन दोनो को देख कर मेरा लंड भी बहुत तेज़ झटकें मारने लगा। मैं गौरी के पास आया और उसे देखने लगा। गौरी आज भी स्कर्ट और कमीज़ में ही थी। मैं उसके पास ही लेट गया और उसकी कमीज़ के बटन खोलने लगा। गौरी ने दो बार मेरा हाथ हटाया पर आज का मौका मैं किसी किम्मत पर खोना नही चाहता था।

मैंने हिम्मत और डर के साथ उसकी कमीज़ के तीन बटन खोल दिए। अब उसकी ब्रा साफ दिख रही थी। सूती कपडे में ब्रा अच्छी लग रही थी और गौरी भी उस ब्रा मे अच्छी लग रही थी। र्मैं उसके बराबर मैं ही लेट गया और अपनी लूँगी उतार दी और धीरे से उसके हाथ में अपना लंड निकाल कर उसके हाथ पर रख दिया। और उसकी कमीज़ के अंदर अपना एक हाथ डाल दिया। गौरी ने मेरा हाथ हटा दिया।

मैं कुछ देर सोचता रहा कि क्या करूं। फिर दोबारा से मैंने गौरी के ब्रा पर हाथ रखा अब की बार उसने कुछ भी नही कहा। मैं धीरे-धीरे उसकी चूची को दबाता रहा। फिर एक दम मुझको झटका सा लगा कि उसने मेरे लंड को पकड़ लिया मैं तो घबरा ही गया था। मैंने उसकी आँखो को देखा तो बंद थी। फिर मैं उसकी चूची को दबाने लगा उसके बाद मैंने अपने हाथ से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड को उसके हाथ में पकड़ा कर हिलने लगा और दूसरे हाथ से उसकी स्कर्ट को उपर कर के उसकी कच्छी में हाथ डाल दिया। मैंने देखा कि उसकी चूत पर काटें से थे। मैंने उसकी चूत के उपर से हाथ फेरना शुरु कर दिया।

अबकी बार गौरी ने मेरे लॅंड को हिलाते हुए पकड़ लिया। मैने फिर उसकी आँखो में देखा, उसने आँख खोली और बंद कर ली। जैसे उसने कुछ देखा ही नही। मैं समझ गया था कि वो जाग चुकी है। पर सोने का बहाना कर रही है। अब तो मेरी हिम्मत ज़्यादा बढ गयी। मैंने उसकी कच्छी से हाथ निकाला और उसके और अपने उपर चादर डाली और उसकी कमीज़ को स्कर्ट से बाहर निकाला और कमीज़ के बाकी बचे हुए बटन भी खोल दिए और उसे अपनी तरफ कर के उसकी ब्रा को चूसने लगा अब उसे भी मज़ा आने लगा। उसने भी अपनी एक टाँग जाँघ तक मेरी टाँग के उपर इस तरह रख दी की मेरा लंड उसकी कच्छी के बीचो बीच चूत पर रहे। और फिर मुझे भी जोश चढा और मैं भी धीरे-धीरे झटके मारने लगा।

अब उसकी प्यासी चूत और मेरे प्यासे लंड के बीच बस उसकी कच्छी की नाम मात्र के लिए दीवार थी। मैं अपने लंड पर उसकी चूत और वो अपनी चूत पर मेरे लंड को महसूस कर सकती थी। फिर मैने उसके पीछे कमीज़ के अंदर हाथ डाला और उसकी ब्रा को खोल दिया। उसकी ब्रा अब ढीली हो चुकी थी। मैंने अपने मुंह से ही उसकी ब्रा को उपर किया। और उसकी चूची देखने लगा। मैने किसी लड़की की चूची पहली बार देखी थी। उसकी गोरी और बड़ी चूची मेरी आँखो के सामने बिल्कुल नंगी थी। मैं अब उसकी चूची को चूसने लगा उसके भी मुंह से एक दम सिश की आवाज़ निकल गई।

अब वो अपनी चूत से मेरे लंड पर ज़ोर देने लगी। अब मेरा लंड और भी मोटा और लंबा हो गया था। मैने अपने लंड को हाथ से पकड़ा और उसकी कच्छी पर बिलकुल उसकी चूत के छेद के उपर रखकर धक्का मारा। और कच्छी समेत मेरे लंड के अगले भाग का बहुत थोड़ा सा हिस्सा ही अंदर गया और वो आहा करने लगी। क्योंकि वो अभी तक किसी से चूदी नही थी इसी लिए उसकी चूत बड़ी ही टाइट थी। फिर एक दम से उसने मेरे लंड को अपने हाथ से अपनी चूत से बाहर कर दिया। और अपनी चूत पर हाथ रख लिया।

फिर मैंने उसकी चुची पीना शुरु कर दिया। मैं तो बस अब उसकी चूत मारना चाहता था। वो फिर गरम हो गई और सीधी हो कर लेट गई। मैंने उठकर देखा कि वो आँख खोले पड़ी है, वो बोली सोने दे ना। मैं फिर से लेट गया थोड़ी देर बाद मैंने देखा उसकी आँखो को देखा तो उसकी आँख थोड़ी थोड़ी खुल रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा पर धीरे से हाथ रखा। तो वो मेरी साइड करवट लेकर सोने लगी। मैं समझ गया कि वो दुबारा करना चाहती है। अबकी बार मैंने उसकी स्कर्ट उपर की और उसकी कच्छी उतारने लगा। पर उसने मेरा हाथ कच्छी से हटा दिया। मैंने फिर अपना एक हाथ उसके गोरे और मुलायम पेट पर फिराने लगा। मैं उसकी टूंडी के चारो तरफ अपने लंड को हल्के से रगड रहा था। फिर मैंने उसकी टूंडी में भी अपना लंड घुसाया और उसकी टूंडी को भी चोदा।

फिर मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था। अब की बार गौरी ने अपने आप ही मेरे लंड को पकड़ लिया। शायद उसे दर्द हुआ था। तो वो मेरे लंड की मोटाई देख रही थी। फिर उसने मेरे लंड को छोड़ दिया। फिर मैंने अपना एक हाथ उसकी कच्छी पर ले जा कर उसकी चूत को सहलाने लगा। फिर मैं धीरे से उसकी कच्छी को उतारने लगा। अबकी बार मैंने उसकी कच्छी हाथ से पकड़ रखी थी। उसने फिर से मेरे हाथ को हटाना चाहा पर अबकी बार मैं पूरा तैयार था और मैंने अपनी पकड़ बिल्कुल भी ढीली नही की। उसने मेरी दो उंगली मोड़ भी दी। पर मैंने भी उसका हाथ अपने दूसरे हाथ से मोड़ दिया। और उसने ऐसे आहा की जैसे उसको बहुत दर्द हुआ हो।

फिर मैने उसकी आँखो में देखा की उसके आंसू आ गये हैं। पर मैंने कोई दया नहीं दिखाई और उसकी कच्छी उतारने की कोशीश करता रहा। उसकी कच्छी फट भी गई पर मुझे उसकी कच्छी नहीं आज उसकी चूत फाडनी थी। फिर मैंने उसके कान में भी कहा कि मुझे आज कोई तेरी चूत फाड़ने से नही रोक सकता पर वो आँख बंद करके पड़ी रही। और मेरा आज का इरादा भी समझ गई। फिर उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया। और अपना एक हाथ मेरे लंड पर रख दिया। और उसे अपनी टूंडी पर धीरे-धीरे मलने लगी। जिससे कि मुझे बस यहीं से मज़ा आ जाऐं।

पर मेरा इरादा बदला नही और मैंने उसकी कच्छी को जाँघ तक नीचे कर दिया। फिर मैं उठा और उसकी चूत के और पेट के बीच में चूमने लगा। मैंने उसकी चूत पर हाथ भी फिराया था। तो मैंने अब देखा जो काँटे से थे वो उसके बाल थे। जो अभी-अभी निकल रहे थे। फिर मैं उसकी कच्छी को और नीचे करने लगा। तो उसने हल्की सी मुझे रोकने की कोशिश की पर मैने उसका हाथ हटा दिया। और उसकी कच्छी उतार दी। अब वो मेरे सामने नीचे से बिल्कुल नंगी थी।

फिर मैंने अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। और कुछ देर में उसकी चूत से चिकना सा पानी निकल गया। मैंने सोचा कि वो झड़ गयी है। फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड रखा और ज़ोर का धक्का मारा। मेरे लंड का अगला टोपा अंदर चला गया मुझे भी दर्द हुआ और उसकी चूत की दोनो तरफ की खाल मेरे लंड से चिपक गई। वो दर्द के कारण अपने आप को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। उसने अपनी चूत को छुडाने के लिए कई बार ऊपर उठाया तो कभी पीछे किया। मैं भी ऐसे ही करता रहा। वो अपनी चूत को ऊपर उठती तो मैं भी अपने लंड को ऊपर उठा देता और पीछे करती तो मैं लंड को आगे कर देता।

इसी चक्कर में उसे ऐसा झटका लगा कि मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया और वो चुपचाप से लेट गयी। क्योंकि अब उसकी सील टूट चुकी थी। और उसे दर्द हो रहा था। दर्द से मन ही मन कराहती रही। और मैं उसकी चूत में अपने लंड को डालने की कोशिश करता रहा। क्योंकि वो भी पहली बार चुद रही थी और मैं भी पहली बार चोद रहा था। ना ही तो मुझे पता था कि कैसे उसका दर्द बंद हो और ना ही उसे। फिर मैं थोड़ा सा थक सा गया था तो मैं रूक गया।

मैने उसकी चूत से लंड बाहर निकाला उस पर खून लगा था। मेरे भी खून निकल रहा था और उसके भी। उसने आँख बंद करके हाथ से ही खून पौंछने की कोशिश की पर उससे सही से पूंछा नहीं मैंने एक अख़बार उठाया और उसकी चूत पूंछने लगा। थोड़ा खून चादर पर भी गिर गया था पर डार्क कलर होने की वज़ह से दिख नहीं रहा था। फिर मैने जग से पानी लेकर चादर से भी खून साफ कर दिया।

अब मैंने घड़ी देखी तो चार बज गये थे। फिर मैंने देखा कि उसने अपनी चूत पर हाथ रख लिए है। मैं अपने हाथ से उसके हाथ हटाने लगा तो उसने हाथ रखे हुए दूसरी तरफ करवट ले ली। पर मुझे चैन नही था मैने उसको ज़बरदस्ती अपनी तरफ खींचा और वो बड़ी मुश्किल से सीधी हो गयी। मैं दोबारा से उसका हाथ हटाने की कोशिश करने लगा। अब उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रख लिया। मैंने धीरे से उसकी चूत में उंगली कर दी। वो फिर तड़प उठी और जैसे ही उसकी हाथ की पकड़ ढीली हुई मैंने उसके हाथ हटा दिए। और उसके ऊपर चढ गया।

अब मेरा खड़ा लंड उसकी चूत पर था। मैंने अपने लंड को पकड़ा और उसकी चूत पर रगड़ा अबकी बार मैने ज़्यादा देर तक उसकी चूत पर रगड़ा और उसके चिकने पानी से अपने लंड को तर कर लिया था। फिर मैने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से झटका मारा अबकी बार एक ही बार में मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी चूत में चला गया। अब मैं देख रहा था कि क्या गौरी अभी भी सोने का बहाना कर रही है। जी हाँ, गौरी ने अभी भी अपनी आँखे बंद कर रखी थी। और थोड़ी-थोड़ी टिमटिमा रही थी।

फिर मैने धक्के लगाने शुरु किए। और गौरी को दर्द भी नहीं हुआ था। अब बीच-बीच में वो भी मेरा साथ दे रही थी। धीरे- धीरे मैं अपनी स्पीड बढा रहा था। फिर मैं अपने लंड को पूरा अंदर बाहर करने लगा अब तो गौरी को भी मज़ा आ रहा था फिर गौरी के मुंह से सी सिश आ आहा निकलने लगा मगर धीरे-धीरे लंड गौरी की चूत से निकले पानी के कारण इतना चिकना हो गया था कि बिना रूकावट के गौरी की बच्चेदानी के मुंह पर ही चोट करता था। गौरी झड़ चुकी थी। क्योंकि अब उसने मुझे कसकर पकड लिया था। जब वो पूरी झड चुकी थी तो उसने मुझे छोड दिया। और अब मुझे भी पता चल गया था की वो झड चुकी थी। क्योंकि अब वो मुझको हटाना चाहती थी वो अपने हाथ से मुझे पीछे कर रही थी।

तभी मैने पूरा ज़ोर लगया और लंड को एक ही झटके में उसकी चूत में कर दिया था। गौरी मुझे चाहकर भी नही हटा पाई। फिर वो बेबस सी हो गई। अब मै ‍इस तरह ज़ोर ज़ोर से झटके मार रहा था कि लंड को पूरा बाहर निकाल कर पूरा अंदर करके उसकी चूत को मार रहा था। मुझे गौरी की बच्चेदानी का मुंह अपने लॅंड के आगे बार बार महसूस हो रहा था। फिर एक दम मेरे लंड से गौरी की चूत में पानी की धार छूट गई। उसी समय गौरी भी दुबारा झड़ रही थी।

फिर मैं गौरी से अलग हो कर उसके बराबर में लेट गया। गौरी की ब्रा, कमीज़ और स्कर्ट का नाडा अभी भी खुला हुआ था और गौरी की कच्छी भी उतरी हुई थी। गौरी सोच रही थी कि मैं ही उसे सही से कपड़े पहना दूँ पर अब मैं आँख बंद करके ऐसे पड़ा रहा जैसे कुछ देर पहले गौरी पड़ी हुई थी। मैं देखना चाहता था कि गौरी मुझे जगा कर कुछ पूछेगी या नहीं।

सुबह के करीब पाँच बज चुके थे। फिर गौरी अपने आप उठी और सबसे पहले उसने इधर उधर देखा। फिर उसने मेरे उपर चादर डाली और लेट गई लेटे-लेटे ही उसने अपनी ब्रा का हुक लगाया। मैं उसे आँख बंद करके देख रहा था। फिर उसने अपनी कमीज़ सही करी और उसके बटन भी बंद करे फिर उसने स्कर्ट ठीक करी और कच्छी पहनी। फिर वो चादर में अपनी गांड को मेरे लंड पर लगाकर लेट गई। जैसे ही उसकी गांड मेरे लंड पर लगी तो मेरा लंड खड़ा हो गया और उसके गांड के छेद में फस गया। अब मेरी उसकी गांड मारने की इच्छा होने लगी थी फिर उस दिन तो मैंने ऐसे ही उपर उपर झटके मारता रहा पर एक दिन मैंने उसकी गांड भी मार ही ली।

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अपने बड़े भाई से चुद गई

मेरा नाम मनीषा है और मैं दिल्ली में रहती हूं अपने पति संजय के साथ।
बात तीन साल पहले की है, तब मैं अट्ठारह साल की थी। मैंने बंगलौर में स्नातिकी की शिक्षा लेना बस शुरू ही किया था। मेरे ताऊ का एक लड़का था जिसका नाम संजय है। वैसे मेरे खानदान में पापा तीन भाई हैं और अगली पीढ़ी में मैं सबसे छोटी हूं।

हम कुल आठ भाई बहिन हैं और संजय भइया दूसरे नम्बर पर और मैं आखरी। मेरा कद ५’२" है और काफी खूबसूरत भी और शायद मैं वाकई में हूँ भी। वैसे मेरी दो कजन बहनें भी काफी खूबसूरत हैं। पर मैं अपनी ही धुन में रहती थी। मेरा फिगर ३४ -२४ -३४ है। हम भाई बहिन आपस में काफी घुले मिले हैं इसलिए अक्सर चुहल बजी चलती थी। कभी कभी तो ये भी आपस में बातें होती थी कि यार तुम आजकल बहुत सेक्सी हो गई हो या हो गए हो। संजय भइया करीब २५ साल के थे उस वक्त। उनकी हाईट काफी थी ५’१०" और उनका व्यक्तित्व भी काफी अच्छा था। कभी कभी लगता कि वो मुझे या मेरी एक और कजन के बदन को निहारते हैं, पर मैंने कभी उतना ध्यान नहीं दिया। वैसे मुझे वो अच्छे तो लगते थे पर मैंने उस तरह कभी सोचा नहीं।

भैया दिल्ली में नौकरी करते थे और उनका टूर लगता रहता था। एक बार उनका टूर बंगलौर का लगा और वो मुझसे मिलने मेरे कालेज़ आ गए। मैं भी खुश हो गई कि चलो कोई घर से मुझसे मिलने आया तो. वो मेरे हॉस्टल आ गए और हम दोनों गले मिले प्यार से और उन्होंने मुझे गाल पर एक हलकी सी पप्पी दी तो मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गई. मुझे अच्छा लगा पर दूसरे सेंस में नहीं. वो मेरे दोस्तों से मिले और ये कह कर चले गए कि शाम को आऊंगा मिलने. मैं भी खुश थी कि भइया आए तो सही.

भइया शाम को ५ बजे आ गए और कहा कि चलो ३-४ दिन मेरे साथ रहो कंपनी के होटल में और घूमना मजे करना। मैं भी चहक उठी और वैसे भी उन दिनों छुट्टियाँ थी ५ -६ दिनों की तो मैं तैयार हो गई और १ -२ ड्रेस ले कर जैसे ही चलने लगी तो उन्होंने कहा कि मैं खरीद दूँगा तो मैं और खुशी से झूम उठी. हम दोनों उनके ऑफिस की कार से उनके होटल में गए. हम लोगों ने कुछ खाया पिया और घूमने चले गए और रात में ९ बजे के करीब होटल लौटे. मैं काफी थक गई थी इसलिए बिस्तर पर आ कर धम से पसर गई. मैंने उस वक्त टाइट जींस और टॉप पहना हुआ था और इस वजह से मेरे टाइट हाफ सर्कल बूब्स तने हुए थे. वैसे भी मेरे बूब्स काफी टाइट थे.

भइया आए और सीधे बाथरूम में घुस गए और फिर निकल कर आते ही मेरे बगल में वो भी धम से लेट गए। ५ मिनट बाद भइया ने मेरी तरफ़ करवट ली और बोले “क्या बात है बहुत सेक्सी और सुंदर लग रही हो,” और ये कहते हुए उन्होंने मेरे माथे पर किस किया और उनका एक हाथ ठीक मेरी नाभि के ऊपर था. मैं भी मुस्कुरा दी. मैंने अभी तक भइया को कभी उस तरह से नहीं देखा था.

मैंने कहा,“यह तो सब बोलते रहते हैं।”

उन्होंने कहा “अरे सच्ची ! वाकई में तुम बहुत कमाल की लग रही हो।”

मैं शरमाते हुए भइया से लिपट गई. भइया ने मुझे तब अपनी बाँहों में भर लिया और अपने सीने से चिपका लिया. उस वक्त मेरे बूब्स भिंचे हुए थे.

मेरे पूरे बदन में सिहरन दौड़ गई जब भइया ने प्यार से भींच कर मेरी गर्दन पर किस किया. फिर मैं उठ कर बाथरूम में चली गई नहाने. पर नहाने के बीच में याद आया कि मैंने नाईटी नहीं ली है तो मैंने भइया को आवाज़ दी कि भइया कोई दूसरा तौलिया दे दीजिये.

बाथरूम में शटर लगा हुआ था शावर केबिन में और कोई लाक नहीं था। बस अलग अलग केबिन थे, इसलिए भैया अन्दर आ गए। मैंने शटर ज़रा सा सरका कर तौलिया ले लिया। मैंने ध्यान नहीं दिया पर शायद वो भी तौलिया लपेटे थे क्योंकि उन्होंने भी नहाना था। वो शीशे के सामने अपना चेहरा धोने लगे। मैं शटर से जैसे ही बाहर निकली और वो जैसे ही मुड़े तो हम दोनों टकरा गए और मेरा तौलिया खुल गया। मैं घबरा गई और तुरन्त अपने दोनों हाथ अपने स्तनों पर रख लिए क्योंकि अब मैं पूरी तरह से नंगी थी। मेरा योनि-क्षेत्र पूरी तरह से बाल- रहित किया हुआ था। भैया ने मुझ पर ऊपर से नीचे तक नज़र डाली, उनके तौलिये के अन्दर भी कुछ उभार सा आ रहा था, पर उस वक्त मैं समझ नहीं पाई. मेरी आंखों में आँसू थे। भैया ने तुरन्त तौलिया उठाया। यह सब इतनी जल्दी हुआ कि कुछ समझने क मौका ही नहीं मिला। मैं भी सन्न चुपचाप सर झुकाए खड़ी थी। भैया ने तौलिया मेरे कन्धे पर डाला और मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मैं भी उनसे चिपक गई और रोने लगी। मैंने यह भी ध्यान नहीं दिया कि मैं अभी भी नंगी हूँ। मेरे बूब्स उनके सीने से चिपके हुए थे। उनका भी शायद तौलिया खुल चुका था और उनका औज़ार यानि लिंग करीब ८-९" लम्बा और २" मोटा मेरी कुँवारी योनि पर टिका हुआ था। पर उस वक्त मेरा इन सब बातों पर ध्यान ही नहीं गया। भैया मुझे चुप कराते हुए बोले।" अरे पगली मनु !(प्यार से वो मुझे मनु कहते हैं) सिर्फ़ मैं ही तो हूँ ! क्या हुआ?" ये कहते कहते उन्होंने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और कमरे में ले गये और बिजली बंद करके मद्धम रोशनी कर दी ताकि मेरी शर्म दूर हो जाए।

ये सब ३-४ मिनट में हो गया था। उन्होंने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरे माथे को किस किया और कहा- चिन्ता मत करो। मैंने उन्हें चिपका लिया और उन्होंने मुझे। उनका लम्बा मोटा लिंग मेरी कुँवारी योनि पर रगड़ खा रहा था पर इस बात पर काफ़ी देर बाद मेरा ध्यान गया।

भैया ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में के कर होठों को किस किया तो मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। मैंने कहा- भैया! यह सब ठीक नहीं है। मैं यह कहना चाहती थी कि भैया मुझे होठों पर किस करने लगे । फ़िर रुक कर मेरे बालों को हटा कर मेरी गरदन पर किस किया तो मैं उनसे कस कर लिपट गई। वो फ़िर मुझे बिस्तर पर ले गए और लिटा कर मेरे ऊपर लेट गए। हम दोनों के नंगे बदन एक दूसरे से कस कर चिपके हुए थे और हम दोनों एक दूसरे को किस कर रहे थे। वो मेरे होठों को और मेरी जीभ को चूस रहे थे, मैं अपने होश खोती जा रही थी।उनका लण्ड मेरी अनचुदी चूत पर रगड़ खा रहा था जिससे मैं पागल हुई जा रही थी।

फ़िर भैया मेरी एक चूची को जोर से दबाने लगे और दूसरी के निप्पल को चूसने लगे जिससे मैं और पगला गई। अचानक मैं ज़रा होश में आई तो कहा- भैया ये सब ठीक नहीं है, अगर किसी को पता चला तो मैं तो मर ही जाऊंगी। वो बोले- मनु जान ! क्या तुम मुझे ज़रा भी नहीं चाहती ! मैं तुम्हारे लिए इतने दिनों से तड़प रहा था और आज तुम्हें पूरी तरह से अपना बनाना चाहता हूँ।

मैंने कहा- भैया…ऽऽऽ… ! और मेरे आगे कुछ कहने से पहले उन्होंने अपने होठों को मेरे होठों पर रखा, फ़िर कहा- आज से मैं भैया नहीं, तुम्हारा पति और जान हूँ, अगर ज़रा भी तुम्हारे दिल में मेरे लिए कोई जगह है तो बोलो।

मैंने कहा- मैं आपको चाह्ती तो हूँ पर … !

मेरे आगे बोलने से पहले उन्होंने मेरे होठों पर उंगली रख दी और कहा- बस हम आज से पति-पत्नी हैं और आज हमारी सुहागरात है।

मैंने कहा- लोग क्या कहेंगे?

उन्होंने कहा- मैं किसी की परवाह नहीं करता और अब हम तुम पति-पत्नी बन कर एक दूसरे को सुखी रखेंगे ………. मैं तुम्हें प्यार करता हूँ मनु जान !

मैंने कहा- मैं भी तुम्हें प्यार करती हूँ ……. भैया !

भैया कहते ही उन्होंने मुझे कहा- आज से मैं तुम्हारा भाई नहीं पति हूँ और अब तुम मुझे कुछ और कहा करो!

मैंने कहा- क्या !

वो बोले- कुछ भी … जैसे जान या कुछ भी !

मैंने कहा- ठीक है भैया .. ओह सोरी … जान ……. आई लव यू !

हम दोनों बिस्तर पर एक दूसरे से कस के चिपके हुए थे। भैया ने फ़िर मुझे किस किया और मेरी जांघों के बीच में आ गए। मैंने अपनी टांगें उनके पैरों पर रख ली थी। उन्होंने अपने एक हाथ को मेरे सर के नीचे रख कर किस किया और दूसरे से मेरी अनचुदी कुँवारी चूत में उँगली की तो मेरे मुंह से सिसकारी सी निकली-आऽऽऽऽऽऽह !

भैया ने कहा- जान अपने पति के लण्ड को अपनी कुँवारी चूत पर रखना जरा !

मैंने कहा- क्या होगा जान …! कहते हुए उनके लण्ड को अपनी चूत पर रखा। हम दोनों अब एक दूसरे का साथ देने लगे थे। भैया पहले धीरे धीरे मेरे अन्दर अपना डालने लगे। मैं सिसकारी लेने लगी थी। एक इन्च जाते ही मुझे दर्द का अनुभव हुआ तो मैंने कहा- आऽऽऽऽह्ह्ह …… अब बस … जान, अब बस भी करो, दर्द हो रहा है …!

वो बोले- चिन्ता मत करो, आज सब कुछ होगा … दर्द, मज़ा और हमारी सुहागरात …… आऽऽह ! कहते हुए उन्होंने एक झटका दिया कस के आऽ…॥अऽऽऽऽअऽह्ह्हहहाऽआऽऽऽ। ऊईऽऽऽ माँ मर गई मैं ! प्लीज़ भैया अब निकाल लो अब और दर्द नहीं सहा जा रहा है ! मैं रोते हुए बोली।

उन्होंने कहा- भैया बोलोगी ? यह कहते हुए एक और झटका मारा, लण्ड शायद ५” अन्दर जा चुका था। मैंने कहा- सोरी जान ……. लेकिन बहुत दर्द हो रहा है !

वो बोले- जान चिन्ता मत कर, थोड़ी देर में सब सही हो जाएगा। वो फ़िर मेरे बूब्स चूसने लगे। थोड़ी देर में मुझे कुछ आराम मिला तो उन्होंने फ़िर ३-४ जोरदार झटके मारे तो मेरी हालत ही बिगड़ गई और चीख निकल गई- आऽऽऽऽऽऽऽऽऽह ……………… मर गई … … माँअऽऽऽऽऽ ……!

मेरी आंखों में आँसू थे। मैं उनसे चिपक गई और अपनी टांगों को उनकी कमर पर जकड़ लिया। वो मुझे किस करने लगे और हम दोनों एक दूसरे के मुंह में जीभ डाल कर चूमने लगे। थोड़ी देर में मैं सामान्य होने लगी। तब भैया ने मेरे बूब्स को पकड़ा और अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगे। मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर थोड़ा मज़ा भी था कुछ अलग तरह का- आऽऽऽऽह्ह्ह. ……. जान …….. आऽऽऽऽऽह्ह्ह्हाअ …… आज पूरी तरह से अपनी बना लो जानऽऽऽ … आऽऽऽअऽऽऽह्ह मैंने कहा तो भैया ने भी कहा- ओहऽऽ … जान …!. कमरे में हमारी आवाज़ें गूंज़ रही थी। मेरी सिसकारियाँ ज्यादा ही थी क्योंकि उनका ८ -९ इन्च लम्बा लण्ड मुझसे झेला नहीं जा रहा था। ५ मिनट तक वो मुझे लगातार रौंदते रहे, फ़िर मैं चीखी-जान आऽऽऽऽअऽऽआऽऽह्ह मुझे कुछ हो रहा है, पता नही क्या हो रहा है, मज़ाऽऽ आ रहा है आऽअ॥अऽ॥आऽऽऽह !

“ओऽऽह जान तू चरम पर है और मै भी ऽऽऽ जान ! मैं गया ऽऽ मेरा झड़ रहा है अआ ……..” उन्होंने लगातार ६-७ झटके मारे और हम दोनो एक साथ आनन्द के शिखर तक पहुँच गए।

भैया मेरे ऊपर ही पसर गए और हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बाहों में जकड़ लिया। कमरे में ए सी चल रहा था पर हम दोनों पसीने से लथपथ एक दूसरे से लिपटे हुए किस कर रहे थे। थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और स्नानघर में जाने लगे तो देखा बिस्तर खून से भरा हुआ था। मैं घबरा गई और बोली,“ ये क्या …… अब क्या होगा?”

भैया बोले,“ इसमें डर कुछ नहीं, पहले पहले यही होता है”

मेरी कमर में दर्द होने लगा था। हम दोनों बाथरूम में एक साथ नहाने गए तो एक दूसरे को साबुन लगा कर नहलाया। मेरी चूत अब कुँवारी नहीं रही थी। भैया ने रगड़ कर मेरी चूत को धोया और मैंने उनके लण्ड को, जिससे हम दोनों गर्म हो गए। मैं थोड़ा शरमाई पर काफ़ी झिझक निकल चुकी थी। हम दोनों फ़व्वारे के नीचे खड़े थे। भैया नीचे बैठे तो मैंने कहा,“ये क्या करने जा रहे हो जान !”

“मैं तो अपने होठों की मुहर लगाने जा रहा हूँ …… और अब तुम भी लगाना”

वो मेरी चूत में उँगली करने लगे थे और जीभ भी फ़िराने लगे। मैं पागल हो उठी। मैं अपने एक स्तन को मसलने लगी और भैया हाथ बढ़ा कर दूसरे को। भैया मेरी हालत समझ गए और फ़र्श पर ही लिटा लिया। मेरी चूत में उनकी जीभ तैर रही थी और मेरे हाथ उनके सर को पकड़ कर मेरी चूत को दबा रहे थे। मैं अपने होठों को काट रही थी और लम्बी लम्बी सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी टांगें उनकी गरदन में लिपट गई थी।

फ़िर वो मेरे ऊपर आ गए और मैंने अपनी टांगें उनकी कमर पे लपेट ली। मेरे दोनों हाथ उनकी गरदन में लिपट गए। उन्होंने फ़िर जोर का झटका मारा तो आऽऽऽह्हऽऽआ …॥अ…अह्…… जैसे मेरी जान ही निकल गई। फ़िर भैया मेरे बूब्स को दबाते और झटके मारते जाते। वो वहशी होते चले गए, मेरे बूब्स को निर्दयता से मसल रहे थे और दांतों से काट रहे थे, मेरी गरदन पर भी प्यार से काटा। वो जहाँ जहाँ अपने दाँत गड़ाते वहाँ खून सा जम जाता। मैं भी पागल हो जाती तो बदले में अपने नाखून उनकी पीठ में गड़ा देती और उनकी गरदन पर काट लेती। जंगलीपने से बाथरूम में मेरी प्यार भरी चीखें गूंज रही थी, जिससे भैया का जोश बढ़ता ही जा रहा था। यह सिलसिला आधे घण्टे तक चला और उतनी देर में मैं दो बार झड़ चुकी थी और भैया रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। फ़िर जब हम शांत हुए तो मैं तीसरी बार झड़ी थी। हम फ़्रेश हो कर कमरे में चले गए और थोड़ा आराम करके खाना खाया। फ़िर हम नंगे ही एक दूसरे से लिपट कर बातें करने लगे।

मैंने कहा,“भैया … ओह सोरी … जान, अब मेरा क्या होगा, मैं क्या करूँ और अब आगे का क्या प्लान है, मेरा मतलब भविष्य का, क्योंकि अब मुझे घबराहट हो रही है, मैं आपके बिना नहीं रह सकती।” वो बोले “चिंता मत करो जान मैं भी तुमसे बहुत प्यार करता हूँ, हम दोनों दिल्ली जा कर शादी कर लेंगे पर अभी किसी को नहीं बताएँगे.” मैंने कहा “ठीक है जान, चलिए अब सो जाते हैं क्योंकि कल आपको ऑफिस भी जाना है” वो बोले “चिंता क्यों करती हो जान, मैं तुम्हें तड़पता नहीं छोड़ सकता। आज ही हम एक हुए और क्या तुम मुझे तड़पता छोड़ दोगी जान?” मैंने कहा “नहीं जान …….. प्लीज़ ऐसा मत बोलो। आज हम नहीं सोयेंगे। आज हम एक दूसरे को पूरा सुख देंगे। आप मेरे साथ जी भर कर और जम कर करो और अपनी बीवी को रौंद डालो जान.” फिर भइया ने मुझे रात में तीन बार और जम कर चोदा और वो भी आधे आधे घंटे तक। और तब तक मैं बेहोशी की हालत में आ चुकी थी। हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए। सुबह जब मैं उठी तो भइया ऑफिस चले गए थे और फिर १० .३० बजे फ़ोन भी कर दिया कि मैं २-३ बजे तक आ जाऊँगा। मैं बहुत थकी हुई थी और मेरा बदन भी काफी दर्द कर रहा था खास कर से मेरी कमर। मैंने फ्रेश हो कर नाश्ता किया औरफिर सो गई। मैं सीधे ३ बजे के करीब उठी तो काफी ठीक महसूस भी कर रही थी और देखा कि भइया मेरे सर को अपनी गोद में लिए हुए थे।
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दीदी के साथ सोते हुए चोदा

एक रात हमारे यहाँ मेरी दीदी आई। मुझे अगले दिन उसको लेकर एक गाँव की शादी में जाना था। वो मुझसे बहुत बड़ी थी पर लगती एक दम सोलह साल की जवान थी। जिसे देखकर किसी का भी मन डोल जाए। मेरी दीदी के लंबे बाल थे और रंग एक दम गोरा था। चूची भी बहुत बड़ी थी। वो अक्सर मेरे सामने ही कपड़े बदल लेती थी। उस दिन उसने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी। वो टाइम गर्मी का था। घरवाले सभी शादी में जा चुके थे। मैं घर पर अकेला ही था।
वो जैसे ही घर पर आई तो बोली- आज गॅप गर्मी बहुत है जा तू घर का गेट बंद करदे और अपने कमरे का एसी चला दे। मैं गया और गेट बंद करके आया। मैंने अपने कमरे का एसी चला दिया। मेरी दीदी कमरे में आई और उसने एक दम अपना साडी का पल्लू हटा दिया। और कुर्सी पर बैठ गयी फिर उसने पूछा के मम्मी पापा कब गये? पर मैं तो उसके ब्लाउज से उसकी चूची को देख रहा था। ब्लाउज इतना टाइट और हल्का था की उसकी सफेद ब्रा ब्लाउज के अंदर साफ दिख रही थी और चूची एक दम कसी हुई थी। मानो चूची ब्रा और ब्लाउज को फाड़ना चाहती हो। दीदी रात को भी ब्रा ही पहनकर सोती थी। दीदी मुझसे बोली तेरा ध्यान किधर है एक दम मैंने उनकी आँखो की तरफ देखा वो बोली मैं पूछ रही थी कि मम्मी पापा कब गये है? मैंने कहा- सुबह ही गये है।

दीदी बोली- अच्छा चल मैं तेरे लिए कुछ बना देती हूँ। और दीदी उठी और उसने अपनी साडी उतार दी। उस का ब्लू पेटीकोट भी एक दम टाइट ही था। अब दीदी मुझे बिना साडी के बहुत अच्छी लग रही थी वो केवल अब ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही थी। वो ब्लाउज और पेटीकोट मैं ही रसोई में चली गई। और मेरे लिए खाना बनाने लगी मैं भी रसोई में आ गया और खड़ा हो कर उसे देखने लगा। वो इधर उधर काम करते हुए चलती तो कभी वो मुझसे टकरा जाती कभी उसकी गांड तो कभी उसकी चूत मेरे लंड से टकरा जाती। अब तो बस मेरे मन में यही था कि मैं अपनी दीदी को चोद डालूँ पर डर रहा था कि कही वो मुझे डांटे नही।

अब खाना तैयार था। वो खाना लेकर मेरे कमरे में आ गई और बोली- चल खाले। फिर मैं खाना खाने बैठ गया। दीदी मेरे सामने ही बैठ गयी और वो अपने पेटीकोट को थोड़ा ऊपर करने लगी। उसने अपना पेटीकोट घुटनो तक ऊपर किया और फिर नाड़ा खोल कर पेटीकोट टूंडी से नीचे करने लगी। पर उसने तो मेरी उम्मीद से ज़्यादा ही अपना पेटीकोट नीचे कर दिया था। अब मैं उसकी टूंडी और टूंडी से नीचे भी साफ देख सकता था। क्योंकि उसने पेटीकोट चूत से ऊपर ही कर रखा था। मुझे उसके चूत के ऊपर कुछ काला-काला सा नज़र आया। मैं समझ गया कि दीदी के भी बाल है पर उसने काट रखे है। और उसकी गौरी टांग भी सुन्दर दिख रही थी। जिन पर हल्के-हल्के बाल थे। फिर मेरा लंड भी खड़ा होने लगा था।

मैंने खाना खाया तो वो बरतन लेने के लिए आगे झुकी तो मुझे उसकी बड़ी-बड़ी चूची के बीच की गहरी लाइन दिख रही थी। बस मैंने अपने मन पर काबू कर रखा था। फिर वो बर्तन लेकर रसोई मे गयी और मैं टी वी देखने लगा। दीदी वापस आई तो चाय बना कर लाई थी। एक कप चाय उसने मुझ को दी और दूसरे कप को लेकर मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गई। और बोली आज तो गर्मी बहुत है तू इस एसी को ज़्यादा कूलिंग पर कर। मैंने एसी की कूलिंग और कर दी। फिर दीदी अपने ब्लू ब्लाउज के बटन खोलने लगी। मैं तो बस देख ही रहा था। मेरा लंड खड़ा होता गया। दीदी अपने ब्लाउज के बटन खोलकर हाथ ऊपर करके बैठ गई। अब मुझे उसकी ब्रा बिल्कुल साफ दिख रही थी। मेरी नज़र उसकी बगल पर पड़ी तो वहाँ पर बहुत छोटे-छोटे बाल थे। दीदी बोली चल सो जाएँ। और हम चाय खत्म करके बेड पर चले गये।

मैं बेड पर लेट गया और दीदी अपने ब्लाउज के बटन खुले ही छोड़ कर मेरे बराबर में लेट गयी। दीदी ने मुझसे पूछा कुछ परेशानी तो नही हो रही। मैंने कहा नही। मैंने दीदी से पूछा के घर भी आप ऐसे ही सोती हो। वो बोली कैसे? मैंने दीदी के ब्लाउज और ब्रा की तरफ इशारा किया। दीदी बोली हाँ जब घर पर कोई नही होता तो मैं अपने सारे कपड़े उतार कर सोती हूँ। फिर वो बोली यहाँ भी तो कोई नहीं है। मैं बोला मैं तो हूँ। वो बोली तू तो मेरा बेटा है। तुझसे कैसी शर्म। जब मैं तेरे सामने कपड़े बदल लेती हूँ तो अब क्या शर्म करो। फिर दीदी ने करवट बदली और दूसरी तरफ मुँह कर लिया।

अब दीदी की गाँड मेरी तरफ थी। दीदी की गाँड ब्लू पेटिकोट में बहुत सुन्दर लग रही थी। दीदी बोली- चल सो जा सुबहा जल्दी उठना है। मैं बस चुप होकर दीदी की गाँड देखता रहा। फिर करीब दस मिनिट बाद,मैंने धीरे से अपनी पैंट उतार दी और दीदी  की तरफ मुँह करा और उसकी गाँड पर अपना लंड टेक दिया। दीदी ने भी अपनी गाँड और पीछे कर ली। और उसकी गाँड के छेद मे मेरे लंड के कारण उसका पेटीकोट हल्का सा चला गया। फिर मैं ऐसे ही धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा। फिर मैंने एक हाथ दीदी के पेट पर रखा और धीरे-धीरे उसके चूत के ऊपर के भाग पर और टूंडी के अंदर अपनी उंगलियाँ घूमने लगा। जिससे दीदी जाग गई। और लेटे-लेटे ही बोली क्या कर रहा है,पीछे होकर सो ना। मैं ऐसे हो गया जैसे मैंने सुना ही नही। फिर दीदी ने मेरे हाथ पर अपना हाथ रख दिया और सोने लगी।

मैंने फिर अपने हाथ से हरकत शुरु कर दी और दीदी के पीछे से धक्के लगाने शुरु कर दिए।दीदी बोली नही मानेगा। मैं फिर चुपचाप लेट गया।दीदी ने एक हाथ पीछे किया और अपनी गांड से मेरा लंड निकाला और अपनी गांड पर हाथ रख लिया। फिर थोड़ी देर बाद मैंने अपना लंड निकर मे से निकाला और दीदी के हाथ पर रख दिया। दीदी ने उस पर हाथ रखा। फिर दीदी ने अपनी गांड से हाथ हटा लिया। शायद दीदी को मेरे लंड की लंबाई और मोटाई पसंद आ गयी थी। फिर मैंने धीरे से उनका पेटीकोट जाँघ तक ऊपर कर दिया ओर पीछे से पूरा कमर तक। फिर मैंने अपना लंड उनकी गांड पर जैसे ही रखा तो दीदी ने भी पीछे को झटका दिया। मैं समझ गया कि दीदी अब गरम हो चुकी है। पर सोने का नाटक कर रही है। फिर मैंने अपने आपको पीछे किया और दीदी की दोनो जाँघो के बीच में थूक लगाया और दोनो जाँघो में अपना लंड फसा दिया। दीदी ने भी अपनी दोनो जाँघो को कसकर भींच लिया। अब मेरा लंड उनकी दोनो जाँघो को एक गांड की तरह ही चोद रहा था।

फिर मैंने एक हाथ दीदी के आगे से उसके पेटीकोट में डाल दिया। और उसकी चूत पर ले जाने लगा तोदीदी ने अपनी ऊपर की जाँघ को थोड़ा सा ऊपर उठा दिया। फिर मैंने अपनी दीदी की चूत को छुआ तो उसमें से चिकना पानी निकल रहा था। फिर मैं ने दीदी की जाँघो में ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा। और एक हाथ से मैं उसकी चूत को सहलाता रहा और उसकी चूत से चिपचिपा पानी निकलता रहा था। अब दीदी को भी मज़ा आ रहा था। पर वो बोली नही और उसने अपनी टांग उठाकर मेरे पीछे रख दी। और मेरे लंड को हाथ से पकड़कर एक इशारा सा किया। और मेरा लंड उसकी चूत से चिपक गया पर अंदर नहीं गया। मुझे ऐसे ही मज़ा आ रहा था। इसी लिए मैंने कोशिश भी नहीं की उसकी चूत में लंड डालने की।

मैने चूत से लंड हटाकर उसकी गांड के बीच मे रख दिया और धक्के लगाने लगा। दीदी फिर पहले की तरह हो गई। मैंने फिर एक हाथ उसके आगे से उसके पेटीकोट में डाला और चूत की खाल पकड़ कर खींचने लगा। इससे दीदी को दर्द हुआ और वो बोली बहुत देर हो गई तुझे। तू अब सो जा, सुबह जाना नहीं है क्या? मैंने फिर अनसुना कर दिया। मैं अब की बार धक्के लगता रहा। फिर मैंने दीदी की चूत को टटोलना शुरू किया और उसकी चूत को चौड़ा करके सहलाना शुरू कर दिया। अब दीदी को बहुत मज़ा आ रहा था क्योंकि वो भी मेरे लंड पर अपनी गांड का ज़ोर लगा रही थी मानो वो मेरा लंड अंदर करना चाहती हो। अब मैं झड़ने वाला था। तो मैंने कई झटके ज़ोर-ज़ोर से मारे और दीदी की चूत को ज़ोर से रगड़ने लगा। दीदी की चूत से एक दम गरम पानी सा निकाला और दीदी ने मेरा हाथ कसकर पकड़ लिया। जिससे मैं रुक जाऊं पर मैं रूका नहीं मैं उसकी चूत को कोशिश करके जब तक रगड़ता रहा जब तक के मेरा पानी उसकी गांड के बीच में ना निकल गया। और मैं धक्के मारता रहा, दीदी भी अब धक्के मार रही थी। जिससे मैं जल्दी झड़ जाऊं और उसे छोड़ दूँ। मैंने एक ज़ोर का झटका दिया। तो दीदी ने भी ज़ोर से झटका दिया। और मेरा सारा पानी उसकी गांड के

बीच में ही निकल गया। मैं थोड़ी देर रुका तो दीदी ने मेरा लंड हाथ से ऐसे ‍‍‍निकाल दिया जिससे कि मुझे लगे कि उसे कुछ पता ही नही है। पर मैं समझ गया था कि दीदी को सब पता है।

मैं भी दूसरी तरफ मुँह करके लेट गया। फिर मैंने दीदी की साइड मुँह किया। तो मैंने देखा के दीदी का पेटीकोट पीछे से गांड से ऊपर है और आगे से जाँघ तक है। फिर मैं आँख खोलकर देखता रहा की दीदी क्या करेगी? क्योंकि वो शायद मेरे सोने का इंतज़ार कर रही थी। क्योंकि वो मेरे जगाने पर सही करती तो मुझको पता चल जाता की उसे सब पता है। इसीलिए,मैं चुपचाप उसकी तरफ मुंह करके पड़ा रहा जैसे मैं सच में सो गया हूँ। फिर कुछ देर बाद दीदी उठी और उसने मेरे सर पर अपना हाथ फेरा और बेड से खड़ी हो गई। फिर उसने अपना पेटीकोट नीचे किया और और पेटीकोट को देखने लगी। पेटीकोट उसके और मेरे पानी से बहुत गीला हो चुका था। और वो बाथरूम में चली गई जो मेरे कमरे में ही था। उसने जैसे ही बाथरूम का गेट बंद किया। तो मैं भी बाथरूम के पास गया और गेट के एक छेद में से देखने लगा। मैंने गेट में एक छेद कर रखा था। जिससे की कोई लड़की या औरत मेरे बाथरूम का इस्तेमाल करे तो मैं उसे देख सकूं। मैंने देखा दीदी अपने आप को देख रही थी। और अपनी चूची को ब्रा के ऊपर से मेरा नाम लेकर दबा रही थी। फिर उसने अपना पेटीकोट उठाया और गांड के पीछे हाथ लगाकर देखा। उसके हाथ पर मेरा पानी आ गया था। तो उसने हाथ को देखा और फिर उसे चाटा भी फिर उसने अपनी चूत से भी हाथ से अपना पानी लिया और उसे भी चाटा। फिर वो पेटीकोट को कमर तक ऊपर करके बैठ गयी। फिर उसने मग्गे में पानी लिया और अपनी चूत और गांड को धोया। फिर खड़ी होकर उसने अपने पेटीकोट मुंह से पकड़ा और और अपनी टांगों से मेरा और अपना पानी धोया। फिर उसने बाथरूम वाला एक टोवल लिया और अपनी चूत, गांड और टांग पूँछी। फिर उसने पेटीकोट नीचे किया और शीशे में देखने लगी। फिर वो बाहर आने के लिए चल दी।

मैंने घड़ी देखी रात का एक बज चुका था। और मैं बेड पर आकर लेट गया और सोने का नाटक करने लगा। दीदी आई और मेरे बराबर में आकर लेट गई। मैंने देखा दीदी के ब्लाउज के बटन अभी भी खुले और पेटीकोट टूंडी से नीचे था। मैं दीदी की तरफ ही मुंह करके सो रहा था। दीदी ने भी मेरी तरफ मुंह कर लिया। तो उसके पेट से मेरा लंड अंडर‍वियर के अंदर से टकरया तो मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैंने फिर अपना लंड निकाला और उसके मुलायम और गोरे पेट पर रगड़ने लगा। दीदी बोली तेरे पास लेट कर तो मैं दुखी हो गयी। तू नहीं सोने देगा।

मैं चुप लेट गया। दीदी थोड़ी ऊपर को हो गई जिससे मेरा लंड उसकी गहरी टूंडी में चला गया। मैं दीदी का मतलब समझ गया था कि उसको मेरा लंड पसन्द आया और अब वो मुझसे फिर मज़ा लेना चाहती। यानी अपनी टूंडी और पेट को चुदवाना चाहती है। मैं उसकी टूंडी में लंड और अंदर कर के धक्के मारने लगा। अबकी बार मैनें उसकी एक साइड की ब्रा भी ऊपर करदी। और उसकी चूची को मुंह से चूसने और चाटने लगा बीच में उसे काट भी लेता तो वो दर्द से आह सी भरती। फिर मैने पीछे हाथ करके उसके पेटीकोट में हाथ डाल दिया। और उसकी गांड को दबाने लगा। मैं अबकी बार जल्दी झड़ गया और सारा पानी मैंने दीदी की टूंडी में ही छोड़ दिया। जिससे दीदी का पेट गीला हो गया। फिर मैं सीधा हो कर लेट गया। और दीदी के पेट पर हाथ फेरने लगा। जिससेदीदी के पेट पर मेरा पानी सारे में फ़ैल गया।

फिर मैं चुपचाप लेट गया। दीदी ने सोचा मैं सो गया हूँ। तो उसने अपनी ब्रा ठीक की और सो गयी सुबह को जब मैं उठा तो दीदी घर की सफाई कर रही थी। उसने अपना ब्लाउज उतारा हुआ था। वो केवल ब्रा और पेटीकोट में ही थी। पर हम एक दूसरे से नज़र नही मिला पा रहे थे। फिर नहा कर हम शादी में चले गये। इसके बाद दीदी ने मुझे कई बार चोदा और मुझसे चुदवाया।
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