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Wednesday 28 August 2013

नौकर से चुदवाया

मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, मेरे पति एक व्यापारी हैं जो ज्यादातर घर से बाहर ही रहते हैं। वो मुझे सुख नहीं दे पा रहे थे, मैंने सोचा कि अब मुझे भी कहीं ना कहीं जुगाड़ करना पड़ेगा। उन दिनों में एक बार मेरे पति ने उनके एक करीबी दोस्त को घर बुलाया, मैंने बात बात में देखा कि उनके दोस्त की नजर मेरे बदन पर ही थी। और क्यों ना हो ! मैं जब इतनी सेक्सी थी।



मेरे पति बाथरूम गये और यहाँ हम दोनों की बात पक्की हो गई।
एक दिन मेरे पति रात को घर पर नहीं थे, मैंने तुरन्त उसे बुला लिया। वो करीब रात नौ बजे मेरे घर पर आ गया। मैं बहुत ही खुश थी क्योंकि आज मुझे पूरा सुख मिलने वाला था। मैं उसे अपने कमरे में ले गई। थोड़ी ही देर में वो शुरु हो गया, मैं भी इसी बात का इन्तजार कर रही थी। उसने मुझे बाहों में लेकर चूमना शुरु किया। वो मेरे कूल्हे पर हाथ फ़िराने लगा, मैं गर्म होने लगी। मैंने भी उसका लन्ड अपने हाथ में ले लिया, मुझे थोड़ी शर्म आ रही थी पर क्या करती, मुझे मजा जो लेना था। उसने मुझे ऊपर किया, नीचे किया, आगे किया , गोद में लेकर चोदा, सब तरीकों से चोदा।

पूरी रात में सुबह के चार बजे तक यही चलता रहा, वो इसी दरमियान चार बार झड़ गया, मैं पाँच बार झड़ गई। उसका हर बार का सारा माल मेरी चूत में ही था, वो पाँच बजे के करीब मेरे घर से चला गया।
अब मेरी दुःख भरी कहानी शुरु हुई उसके जाने के बाद !
मैं भी फ्रेश होकर सो गई, मेरा पूरा बदन टूट रहा था, मुझमें खड़े होने की भी ताकत नहीं थी। मैं आधे कपड़ों में सो गई। 

करीब छः बजे मुझे एक आवाज आई- मेमसाब.... मेमसाब.... मेमसाब....
मैंने आधी आँखें खोल कर देखा तो वो हमारा नौकर भोला था....
मैंने उसे कहा- क्या है इतनी सुबह.... ?

उसने कहा- मेमसाब, रात को मैंने आपकी पूरी फ़िल्म देखी है !
मैं फटाक से बिस्तर से खड़ी हो गई। देखा तो भोला आधा नंगा मेरे सामने खडा था। वो बोला- मेमसाब, अब हमें भी मजा दीजिये ! नहीं तो साहब को पूरी कहानी बतायेंगे।

मैं डर गई, मैंने उसे कहा- भोला, अभी मैं बहुत थकी हुई हूँ। प्लीज, तुम सो जाओ...
इतना सुनते ही उसने मेरे बाल पकड़ लिये, मैं चिल्लाई- आ... आ...आ...
मेरा मुँह खुलते ही उसने उसका दस इन्च का लन्ड मेरे मुँह में डाल दिया..... मेरा चिल्लाना बन्द.....
उसने मेरे मुँह में ही चोदना शुरु कर दिया और वो झड़ गया, मेरा पूरा मुँह उसके माल से भर गया। इतना सारा दूध ! मुझे लगा कई सालों से जमा कर रखा था... 

उसके तेवर तो देखो- अब मुझे बोला- अब साली नंगी हो जा !
ऐसा बोलकर वो खुद नंगा हो गया... मुझे बोला- चल साली, अब तुझे मजा देता हूँ...
मेरे कपड़े उसने ही निकाल दिये, मुझे नंगा कर दिया। 

उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। मैंने बोला- नहीं, अभी मत करो...
वो मेरी बात मानने वाला नहीं था, उसने मेरे दोनों गोलवे दबाना शुरु किया, फ़िर उसने अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगा, जोर जोर से चूसने लगा। अब मुझे भी थोड़ा मजा आने लगा था।

फ़िर वो मेरे बदन को चाटता हुआ मेरी चूत तक पहुँचा और मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। अब मुझे पूरी तरह उसका होना पड़ा क्योंकि रात को भी मुझे यह नहीं मिला था जो अब मिल रहा था।
मेरे मुँह से निकल गया- वाह भोला ! तूने मेरा दिल जीत लिया... 

उसका लन्ड सोया हुआ था, मुझे लगा कि मुझे भी उसे कुछ करना चाहिये, मैंने उसे नीचे लिटा कर उसके होंठ अपने मुँह में ले लिए और उसका लन्ड हाथ में लेकर जगाने लगी। थोड़ी देर में उसका लन्ड खड़ा हो गया, पूरे दस इन्च का ! मैंने उसे चूम लिया और मुँह में ले लिया...
वो बोला- मेमसाब, मैं फिर से झड़ जाउंगा...

मैंने कहा- नहीं अब मत झड़ना... नहीं तो मैं मर जाउंगी....
मैं पूरी गर्म हो चुकी थी, मैंने उसे कहा- भोला, मेरी चूत को फाड दो...
उसने मुझे नीचे पटक दिया, मेरी टांगें फैला कर बीच में आकर अपना लन्ड मेरी चूत पर लगाया....
मैंने उसे कहा- भोला....

उसने जोर से धक्का लगाया... मेरे मुँह से चीख निकल गई .... उ...उ...आ..उ...आ... उसने पूरा लन्ड मेरी चूत डाल दिया.... वो मेरे गोलवे दबाते रहा और चोदता रहा... मुझे बहुत मजा आया...
फ़िर मैंने उसे खड़ा किया और मैं उस पर चढ़ गई और धक्के लगाने शुरु कर दिए... वो मेरे कूल्हे दबाने लगा। मैंने उसकी उन्गली अपने मुँह में ले ली और पूरी भिगो दी और उसे कहा- भोला, यह उन्गली मेरी गान्ड में डालो !

उसने पूरी उन्गली मेरी गान्ड में डाल दी। मेरे मुँह से आवाज निकली- आ...आ...आ...
वो बोला- मैं झड़ने वाला हूँ !
मैंने कहा- मैं भी.....
इतने में हम दोनों ही झड़ गये... वो मुझे चिपक कर सो गया...
मैंने कहा- अब तुम्हारा काम करो...
वो बोला- नहीं हम और चुदाई करेंगे... 

मैंने उसे समझाया- देखो भोला, तुम बहुत अच्छा चोदते हो ! अब मैं तुम से रोज चुदवाउंगी... तुझसे गान्ड भी मरवाउंगी...
वो बोला- हमारे दो दोस्त हैं, उनको भी आप मजा दोगी....?
मैंने उसे शान्त करने के लिये उसे हाँ बोल दी.. मुझे क्या पता कि सही में ऐसा होगा....... फ़िर वो मेरे होंठों पर अपना लन्ड घुमा कर चला गया...

वो मेरी किस्मत वाली रात थी, मैंने पाँच बार चुदवाया........ दो लन्ड मुझे मिले......
सुबह के नौ बजे मैं बेड से मुश्किल से खड़ी होकर नहाने के लिए बाथरूम गई, पूरी नंगी होकर नहा रही थी। मेरा हाथ मेरी चूत पर गया, देखा कि अभी भी चूत खुली हुई थी, मुझे रात की पूरी कहानी याद आई। फ़िर मैं नहाने लग गई, जैसे ही मैंने साबुन लगाया, मेरी आँखें बन्द हो गई। इतने में मुझे लगा कि मेरे पीछे कोई आया है। इतने में तो उसने मेरे दोनों हाथ पकड़ लिये, मैंने महसूस किया कि उसका लन्ड मेरे कूल्हों के बीच टकरा रहा था, उसका लन्ड हाथ में आया तो मुझे पता चल गया कि यह भोला ही है। उसका लन्ड मेरी चूत को छुआ तो मेरी चूत भी अब पानी बहाने लगी। इतने में ही उसने मुझे गर्दन से पकड़ कर घोड़ी बना दिया, मेरे कूल्हे फैला कर मेरी चूत पर लण्ड रख दिया और मेरे गोलवे कस कर पकड़ लिये। फ़िर उसने मुझे अपनी ओर खींचा और मेरी तरफ जोर से धक्का लगाया। एक ही जटके में .... आ. ओ...ओ..... आआ आ..... सीसी....उउउ....अ.... पूरा लन्ड मेरी चूत में ...... 

अब मुझे बहुत दर्द हो रहा था, मैं लन्ड अपनी चूत से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी, उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और मुझे जोर जोर से चोदने लगा। मेरे मुँह से बस आ..अ... आआ...उ..उ... आवाज ही आती रही।

पन्द्रह मिनट चोदने के बाद उसने लन्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया, मुझे घुटनों के बल बैठा कए लन्ड मेरे मुँह में दे दिया। उसका इतना बडा लन्ड मुँह में जाने से मैं सांस भी नहीं ले पा रही थी। उसने मेरे मुँह में चोदना शुरु किया, मैं चूत से झड़ गई थी, फ़िर भी वो मुझे मुँह में चोदता रहा।

इतने में ही उसने मेरे बाल कस कर पकड़ लिये और बोला- जोर से चूसो... जोर से.... और जोर से......
उसके मुँह से आवाज निकल गई आ...आअ.....आअ..आआआ.....
मेरा पूरा मुँह उसके माल से भर गया... मुँह में माल लेने का मेरा यह पहला अनुभव था, बहुत गर्म था उसका माल ! उस्का स्वाद भी बहुत अच्छा था। उसने मुझे पूरा नहलाया और उठा कर बिस्तर में लिटा दिया....
और मैं सो गई......

यह मेरी पहले दिन की चुदाई थी। उसके बात दूसरे दिन भोला से, थोड़े दिन बाद पति के दोस्त से, कुछ दिन बाद भोला और उसके दोस्तों से, दूधवाले से, अपने पति से मतलब मेरी चुदाई ही चुदाई..... किरपया  अपने  सुझाब  जरुर भेजे,,email--manojpyasa007@gmail.com

Tuesday 27 August 2013

पहेले भाई ने चोदा दीदी को फिर मैंने

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 ये मेरी  कहानी मेरे बड़ा भाई और मेरी कजिन सिस्टर की है मेरे भाई का नाम राजा है, और मेरी कजिन सिस्टर यानि मेरे दीदी शीला है।

राजा की उमर ३५ है और दीदी का भी ३५ है। मेरे दीदी कि फिगर तो अल्टीमेट है ४०-३२-३८ साली एक दम सेक्सी लगती है। १६ साल के उमर मे उसका शादी हो गया एक पुलिस कांस्टेबल के साथ, मेरे जीजा रिज़र्व पुलिस में थे तो उनको आउट स्टेशन जाना पड़ता था। और मेरे दीदी और जीजाजी के सम्बन्ध उतना क्लोज नहीं था क्योंकि उनकी उमर २५ थी जब वो दीदी को शादी किये थे। मेरे दीदी मेरे घर के बाजु में ही घर लिये थे। पता नहीं कब मेरे दीदी और मेरे भैया के साथ अफैर हो गया।


मुझे पहले पहले कुछ ऐसा लगता था कि मेरे भैया और दीदी के बीच में कुछ है। मैं उन दोनो के उपर शक करता था। एक बार दोपहर में मैने कोलेज से आया तू मेरे दीदी और मेरे भैया रूम में बैठ के जोर जोर से बात कर रहे थे तो में रूम का दरवाज़ा खोलके अंदर चला गया देखा तो दीदी ने उसके बच्चे को दूध पिला रही है वो भी पूरा ब्लाउज़ खोलके और भैया आराम से बैठ के देख रहा है मैने सोचा कि बच्चा को दूध पिला रही है तो उसमे शक करने कि बात नहीं है। फिर भी मेरे मन मे शांति नहीं था सिर्फ़ उन दोनो का है बात दिमाग में हर वक्त चलता था।

कुछ महीने के बाद रात मे मैं धीरे से घर आया रूम में दीदी, भैया और दीदी का बच्चा सब सो रहे थे तो मैने डिनर करने के लिये किचन में गया और तभी पावर कट हो गया। तो मैने खाना लगा के हाल में आया तो रूम के अंदर से कुछ आवाज़ आ रही थी (भैया का रूम तो हाल में अटैच था। ) थ मेरे को शक हो गया कि रूम में शायद हो दोना कुछ कर रहे हैं और मैने धीरे से रूम के दरवाज़ा पर कान रख के सुना तो पया कि मेरे भैया बड़ी जोर से सांस ले रहा था और दीदी भी कुछ अजीब से आवाज़ कर रही थी। कुछ देर बाद में एक अजीब स्मेल रूम से आने लगा और फच फच कर के बहुत जोर से सांस ले के दोनो आवाज़ मिलकर रूम से आ रहा था मेरे को वो स्मेल और आवाज सुनकर मेरे लौड़ा खड़ा हो गया मैने बहुत जल्दी में खना खा लिया और बड़ी हिम्मत से रूम का दरवाज़ा खोल के अंदर गया तो खाट के उपर बच्चे को सुला के भैया और दीदी नीचे ज़मीन पर एक के बगल में सो रहे थे। उस रात से मैं उन दोनो का पीछा करना शुरु किया तो मुझे वो दोनो रंगे हाथ पकड़े गये

वो रात मेरे को पता कि आज भैया और दीदी मस्त चोदने वाले है क्योंकि मेरे घर में उस दिन कोई बी नहीं थे सिर्फ़ मैं, भैया, दीदी और उस का बच्चा को छोड़के। तो उस रात मैने बड़ी जल्दी सोने का नाटक किया और रात ९ बजे तक बेड पर चला गया। और १० बजे को उठा और रूम की खिड़की के पास जाके बैठ गया। रूम की खिड़की को मैने पहले ही थोड़ा सा खोल के रखा था और परदा को पूरा छोड़ दिया था। जैसे मैं खिड़की के पास तो वो दोनो ऐसे ही कुछ बातो में खोये हुए थे। अचानक भैया ने दीदी को समूच किया तो मेरा हार्ट बीट बहुत तेज़ वो गोया। मेरे दिल में थोड़ा सा डर हो रहा था। भैया समूच करने के बाद दीदी को गाली दिया कि वो दूध पिये थी। भैया को दूध से नफ़रत थी। वो दूध या दूध के स्मैल से नफ़रत करता था। दीदी ने तुरंत बाथरूम में जाके ब्रुश करके आयी।

फिर ५-१० मिनट बाथ किया और फिर से भैया दीदी को समूच किया और अपने हाथ को उस के बूब्स पर रख के जोर से दबाना शुरु किया। दीदी भी भैया का लिप्स और जीभ को अपने मुंह में लेके बड़ि मजेदार से किस कर रही थी। भैया ने दीदी की नाइटी को उपर उठाया और उसे निकाल के ज़मीन पर फेंक दी। दीदी अकसर घर में ब्रा नहीं पहनती थी। और वो नंगी हो गयी। भगवान की कसम दीदी की जांघें तो कमाल की चीज़े है। साली के पैर एक दम बनाना के पेड़ के जैसा है। इतनी बड़ी बड़ी बूब्स थी इसकी कि भैया का पूरा फ़से उस में छुप जा रहा था कि वो बूब्स को चूस रहा था। भैया ने दीदी के दोनो बूब्स को ऐसे चूस रहा था कि कोई आदमी बहुत सालो तक प्यसा हो और उसे पानी मिल गया हो। थोड़ी देर बाद में भैया ने दीदी के दोनो पैरों को फैला दिया और दीदी की चूत दिखने लगी उसके पूरा प्युबिक हेयर से छुपा हुआ था। भैया ने दीदी के चूत को उंगली से फ़ैला दिया और अपने मुंह को चूत में डालकर चूसने लग गया। कुछ ५ मिनट तक वो दीदी के चूत को चूस रहा था तो दीदी ने पूरे मूड में आ चुकी थी और वो बोल ने लगी कि चूस राजा मेरे चूत को और चूस खा जा मेरे चूत को।


आज तो बहुत खुजली हो रही है मेरी चूत मैं चूसले, पूरा पानी मेरे चूत में से अह्ह अह्ह अह्ह आअ…अ…।।अ।अहह कर रही थी। ५ मिनट के बाद भैया ने दीदी कि चूत में से निकाल कर दीदी को उसके होंथों पे किस्स करके दीदी का लिप्स को चूस ने लगा। दीदी ने भैया का टी शर्ट निकाला और भैया को गर्दन के पास किस करने लगी और गर्दन से लेकर ऐसे ही उसके छाती के पास उसके छाती को किस करके उसके शोर्ट्स को निकाल दिया और भैया का ८” तगड़ा मोटा लौड़ा पूरे तरह से खड़ा हो गया था। दीदी ने भैया का लौड़ा पकड़ लिया और हाथ से शेक किया और उसके उपर का स्किन को पीछे कर के भैया का लंड को मुंह में ले के चूसना शुरु कर दिया। भैया बोले चूसले जान मेरे लौड़े को चूसले आहाह अह्हह्हह्ह अह्हह्हह्हह बड़ा मज़ा आ रहा आता है जब तु मेरे लौड़े चूसती है कर के बोलने लगा

५-१० मिनट के बाद भैया ने दीदी का सिर पकड़ के उसके माउथ में धक्का देना शुरु किया और दीदी को उपर उठके उस खाट के उपर में सुला के अपने लंड को हाथ में लेके सम्भालने लगा और दीदी के चूत के उपर रख के एक ही झटके में अपने पूरे लंड को अंदर डाल दिया। दीदी ने एक जोर सी आवाज़ की और बोली मादरचोद धीरे से कर में दीदी के मुंह से वो बात सुनके हैरान हो गया और पता चला कि भैया और दीदी दोनो गंदी तरह से गाली दे के चोदते हैं। और भैया ने दीदीके चूत में अपने लंड को अंदर और बाहर कर रहा था और दीदी धीरे धीरे सिसकार कर रही थी अह्हहह्ह अह्ह रा………ज……अह्हह्ह……अझह्हह्हह्हह्हह कर के सिसकार कर रही थी।

५-१० मिनट के बाद भैया ने अपने स्पीड ज्यादा करने लगा और बोलने लगा कि तेरी मां को चोदु तेरी बहन को चोदु तेरी चूत फ़ाड़ के रख दूंगा साली रंडी चल चोद जोर से चोद हरामज़ादी रंडी साली चोद मुझे चोद कर के गाली देने शुरु किया बहुत जोर जोर से चोदने लगा। इतना जोर से चोद रहा था कि उन दोनो का चोदने के साउंड इतनी जोर से आ रहा था और दीदी कि चूत में से कुछ व्हाइट कलर में तरल आने लगा और पूरा रूम में फ़चाक फचाक फचाक करके आवाजें आने लगा। और दीदी बोलने लगी कि मादर चोद और जोश से चोद मुझे मेरी चूत पर दे राजाआआआ मेरी चूत फाड़ दे बहुत अंदर तक चला गया है तेरा लौड़ा चोद रे साले मादर चोद मुझे और जोसे से चोद मेरी मां बहन को भी चोद ले राजा तेरी लौड़ा को सारी दुनिया की चूत कुर्बानी है राजा चोद आअहहा आआआआआअह्हह्हह्हह्हह्हह अह्हह्हह्हह्हह्हह स्सस्सस्सस्स स्सस्सस्सस्सस्सस्सहूऊऊऊऊऊऊऊओदूऊऊऊऊ अह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह्हह कर के चिल्लाने लगी और मेरे भैया ने भी गंदी गंदी गालियो से गाली दे के चोद रहा था

मां कसम भैया ने ठीक ४५ मिनट तक लगातार दीदी के चूत को चोद के फाड़ दिया और उसने पूरा पानी दीदी के चूत में निकाल दिया और दीदी के चूत से अपने लंड को निकाल दिया और साइड में सो गया यहां दीदी ऐसी सो पड़ी थी जैसे किसी को अपना चुदा हुआ चूत दिखा रही है और दीदी के चूत को बड़ा हो गया था और उसमे से भैया का पानी नीचे गिर थे हुए दिख रहा था। १० मिनट तक दोनो शांत पड़ गये थे। १० मिनट के बाद दीदी बोली राजा फिर से करना दूसरे राउंड तो भैया बोला तेरी मां को चोदू साली तेरी प्यास भी जाती नहीं है जा के लकड़ी ले के आ के तेरी चूत में रख के सो जा साली रंडी हरामी कर के बोल के सो गया और दीदी ने बोला ठीक है तो सुबह ५ बजे को उठी हूं और सुबह मुझे खूब चोद लेना अभी सो जा कर के बोली और सो गयी।

मैने उसके बाद बाथरूम में गया और लगभग ४५ मिनट तक जो देखा था वो पूरा जोश को सिर्फ़ २ मिनट के हाथ मारने पे पूरे के पूरा पानी निकाल दिया।

ठीक महीने बाद मेरे भैया की शादी हो गयी और हमारे घर के उपर और २ रूम बना दिया ताकि भैया को शादी के बाद परायिवेसी दिया जाये और कोई मेहमान आये तो भी दूसरे रूम का इस्तेमाल होगा कर के सोच के २ रूम बना दिया।

भैया की शादी होने के महीने दो महीने के बाद एक रात ऐसा हुआ कि मेरे ज़िन्दगी का आसमान खुल गया।

हर समय के तरह दीदी जब जीजा नहीं वो तो हमारे घर में ही रहती थी।

वो हमारे घर में सोती थी।

उस रात वो रूम में सोने को आई। जैसे भैया उपर रूम में चला गया। में खाट के उपर सो रहा था और दीदी ज़मीन पर बेड लगा के सो गयी। मेरे को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि मेरे को रोज़ हाथ मारने का प्रक्टिस है और एक बार अपना पानी गिराने के बाद ही मेरे को नींद आती थी। लेकिन उस रात दीदी थी तो मैन ऐसे ही सोने की कोशिशअ रहा था। कुछ १२ बजे के आस पास तक मेरे को नींद नहीं आयी थी और मैने दीदी को घूर घूर के देख रहा था जैसे वो अपना हाथ और पैर हिला रही थी तो उसका नाइटी उपर वो हट रहा था, तो मैं कोशिश कर रहा था कि उसका पैरों को उपर तक देखने की। ऐसे ही देख रहा था तो दीदी ने अचानक बेड शीट को अपने पैर पर लगा के अपनी चूत में उंगली करनी शुरु कर दिये और उनके प्युबिक हेयर में उनका उंगली जैसे मूव वो रहा था आवाज आने लगा। १०-१५ मिनट तक दीदी उंगली कर रही थी तो मैन खाट के उपर बैठ गया और सीधे दीदी को घूरने लगा।

जैसे दीदी उंगली करके आंख खोली तो मेरे को देख के हैरान हो गयी और पूछी ऐसे क्यों बैठा है। और मैने कहा दीदी मैने देखा कि आप उंगली करते हुये।

दीदी बोली क्या बोलता है तुझे शरम नहीं आती है ऐसे बात करने में।

मैने बोला दीदी मेरे को पता है कि तुझे भैया रोज़ चोदता था और अब उस का शादी हो गयी तो तुम उंगली करले रही हो।

दीदी बोली क्या उल्लु के जैसा बात करता है तेरे को क्या पता, कैसे पता मलूम है तू क्या कह रहा है। मैने बोला मैने सब कुछ देखा है। दीदी थोड़ा सा डरा हुई थी मैने बोला दीदी डरो मत मैं किसी को नहीं बोलने वाला हूं।

बस मेरे को एक बार तेरे को चोदना है

दीदी बोली हरामज़ादे मेरे को चोदेगा?

मैं खाट से उतरा और सीधा उसके बूब्स पर हाथ रखके उसे किस करने लगा


शुरु में वो थोड़ी न की और वो भी जोश में आ गयी। मेरे मन में खुशी ही खुशी हो रहा था।

मैं दीदी का मुंह में मेरा मुंह डाल के चूस ने लगा वो भी साथ दे रही थी उसने मेरे पूरे जीभ को अपने अंदर ले लिया। मैने उसके दोनो बूब्स को दबाने शुरु किया इतने बड़े बड़े बूब्स थे कि मेरे दोनो हाथ में एक नहीं आ रहा था। मैने तो बड़े बड़े बूब्स के औरतों को देखा हूं वो सभी लूज़ लगते थे लेकिन दीदी के बूब्स तो एक दम टाइट था और क्या कलर था उसके निप्पल कम से कम १” तो था मैने जी भर के उसका बूब्स को चूसा उसके निप्पल के साथ खेला करता उंगलियों के बीच में उसे जोर से दबाया दीदी धीरे से सिसकार कर रही थी। मैने उसके नाइटी उतार दिया और उसको मेरे सीधे आंखों के सामने मेरे बाहों में नंगा देख कर मेरे को लगा कि ये तो सपना है।

ऐसे औरत को तो नंगा में मेरे साथ बिठा सकता हूं ये तो में सपनो भी नहीं देखा था। मैने उसके चूत चाटने लगा पहली बार था न तो उसके लुब्रिकेंट मेरे मुंह में आने लग गया और मेरे पूरा मुंह उसके पानी से गीला हो गया मैने उसके चूत को चोद के मेरा ट्रैक पैंट उतार के मेरा ८” के लंड को उस के मुंह में रखने को दिया। तो दीदी बोली बहन चोद साले पूरे घर वालों का लौड़ा बड़ा है तेरे भैया का भी और तेरा भी। उधर तेरा भैया मेरे को चोद के उस रंडी साली तेरी भाभी को चोद रहा है। नया चूत मिला है न उसको इसलिये मुझे टच करने को भी नहीं आता है। आज से तू ही मेरे को चोदेगा अगर वो नया चूत चोद रहा है तो में भी नया लौड़ा से चुदवाउंगी। चोद तेरे में कितना दम है उतना भी लगा के चोद इस चूत को। तेरा फर्स्ट नाईट है आज चोद मुझे बोलने लगी।  चूत नहीं है कर थे मैने दीदी कि चूत में मेरे लौड़ा घुसा के मार रहा था तो वो बोली तो जा के पूछना अपने मादरचोद भाई को उसने ही बनाया है मुझे रंडी और मेरे चूत को पर के भवडी बना दी है।

ऐसे ही हम दोनो मज़े लूट रहे थे तो २०–२५ मिनट के बाद मैने झाड़ दिया। दीदी बोली साले फर्स्ट टाइम इतना तिमे लेता है तो साले तू भी बड़ा चुदक्कढ़ बनेगा साले। कुछ १० मिनट के बाद मैने बोला दीदी में क्या अपका गांड मार सकता हूं। तो बोली हा हा क्यों नहीं मादरचोद तुम सब भाई लोग एक ही हो सिर्फ़ चूत से थोड़ी तसल्ली होगा मारो गांड मारो मेरी लेकिन इस बार तू अपने पानी मेरे मुंह में गिरना है मेरे को तेरे पानी पीना है करके बोली। उसके बाद मैने दीदी को खूब गांड मारा और उसके मुंह मैं झाड़ दिया।

Monday 26 August 2013

रिया की बचपन मैं चूत मारी


बात आज से 4 साल पहले की है जब मैं बारहवीं कक्षा में था, मेरी बहन दसवीं में थी।

 मेरे पिताजी अक्सर घर देर से ही आते थे क्योंकि बिज़नस की वज़ह से उन्हें देर हो 

जाती थी और माँ ज्यादातर अपने घर के काम में या फिर टीवी देखने में व्यस्त रहती 
थी। मेरी बहन जिसका नाम रिया है अधिकतर पढ़ाई करती रहती थी।

मैंने कभी उसे गलत नज़र से नहीं देखा था। मगर एक दिन मैं अपने कंप्यूटर पर ब्लू 
फिल्म देख रहा था कि एकदम से रिया मेरे कमरे में आ गई मैंने उसको देखते ही

 कंप्यूटर बंद कर दिया मगर उसने सब देख लिया था लेकिन वो कुछ बोली नहीं। मैं 

उससे कुछ नहीं कह पाया, वो हिम्मत करके मेरे पास आई और बोली- भईया मुझे 

यह सवाल नहीं आ रहा, इसको हल करने में मेरी मदद करो। मैंने कहा- ठीक है !
 
लेकिन मैं उससे नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मैंने उसका सवाल हल कर दिया। फिर

 वो जाने लगी तो मैंने उससे बोला- जो भी तुमने देखा है, वो किसी को मत बताना !

तो वो बोली- भईया, मैं किसी को नहीं बताउंगी पर यह सब अच्छी चीज़ नहीं हैं, आप
मत देखा करो !

मैंने उससे कहा- ठीक है !

फिर वो चली गई लेकिन उस दिन मुझे उसे देख कर कुछ अजीब सा महसूस हुआ

 मेरे दिल में उसके लिए गलत ख्याल आने लगे। मैं आपको बता दूँ कि रिया देखने में

 बहुत ही सेक्सी है। उसका फिगर 34-26-34 है, रंग हल्का साँवला है। जो भी 

उसको एक बार देख ले, उसका लंड अपने आप ही खड़ा हो जाए।

दो दिन बाद दोपहर के वक़्त माँ घर का काम निपटा कर सो रही थी और मैं अपने 

 कमरे में पढ़ रहा था। इतने में रिया आई और बोली- भईया उठो, मुझे एक सवाल 

समझ नहीं आ रहा, मुझे समझा दो।

तो मैं उठ कर उसे सवाल समझने लगा। लेकिन आज उसके मेरे पास बैठने से मुझे

कुछ-कुछ हो रहा था, उसकी खुशबू मेरी साँसों में भर रही थी। मैं सवाल पर ध्यान

 नहीं लगा पा रहा था कि इतने में वो बोली- भईया, क्या बात है ?
 
तो मैं बोला- मुझे बहुत नींद आ रही है इसलिए मैं यह सवाल नहीं कर पा रहा हूँ !

तो वो बोली- भईया, नींद तो मुझे भी आ रही है ! ऐसा करते है ख़ी कुछ देर के लिए

 सो जाते हैँ, बाद में सवाल कर लेंगे।

इतना कह कर वो आपने कमरे की तरफ जाने लगी तो मैंने उससे कहा- रिया, कहां

 जा रही है? यहीँ पर सो जा ! थोड़ी देर में तो उठ कर सवाल करना ही है।

तो वो बोली- ठीक है !

फिर वो मेरे बगल में आकर सो गई। मैं भी सोने का नाटक करने लगा। लेकिन नींद 

तो आ ही नहीं रही थी। थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने आपना एक हाथ हिम्मत करके उसके चूचों पर रख दिया और कोई हरकत नहीं की ताकि उसको ऐसा लगे कि 

गलती से नींद में रखा गया हो।
थोड़ी ही देर में उसकी साँसें तेज चलने लगी। फिर मैंने हिम्मत करके उसकी टांग के

बीच अपनी टांग फंसा दी। अब वो मेरी पकड़ में थी, उसकी साँसे बहुत तेज चल रही

थी पर उसने अभी तक कोई विरोध नहीं किया तो मेरी हिम्मत बढ़ गई।

मैंने अपने हाथ से उसके चूचे मसलना चालू कर दिया, कुछ देर बाद वो बोली- भईया,

 यह क्या कर रहे हो?

तो मैंने उससे साफ़ साफ़ कह दिया- मैं तुझे प्यार करता हूँ और जब भी तू मेरे सामने

 आती है तो मैं अपने होश खो बैठता हूँ।

वो बोली- भईया, यह सब सही नहीं है ! अगर किसी को पता चल गया तो? और वैसे

भी हम भाई-बहन हैं।

मैंने उससे कहा- किसी को पता नही चलेगा ! और भाई-बहन हैं लेकिन हैं तो

 लड़का-लड़की ! इतना तो सब में ही चलता है ! आखिर एक दिन तो तुम्हें किसी न 

 किसी से चुदना ही है तो अपने भाई से ही क्यों नहीं !

इतना कह कर मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और पैंटी के अन्दर हाथ डाल

कर उसकी चूत सहलाने लगा। वो सिसकारियाँ लेने लगी और साथ में हल्का सा

 विरोध भी कर रही थी। तो मैंने उससे कहा- तुम मेरा साथ दो तो तुम्हें बहुत मज़ा

आएगा और घर की बात घर में ही रहेगी।
 
तो उसने करवट ली और मेरे चेहरे के सामने अपना चेहरा ला दिया और बोली- ठीक

 है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए !

मैंने उससे कहा- तू फिक्र मत कर
!
फिर उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और दस मिनट तक हम एक दूसरे के 

होंठ चूसते रहे। फिर उसके बाद मैंने उसका कुरता उतार दिया और फिर ब्रा भी उतार

 दी।
क्या क़यामत लग रहे थे उसके चूचे !

मैंने एक चूचे को मुँह में ले लिया और दूसरे को हाथ से मसल रहा था और उसकी

सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थी। फिर उसने मेरी पैंट खोल कर मेरा लंड पकड़ लिया

और उसे अपने हाथ से दबाने लगी। मुझे लगा जैसे कि मैं जन्नत में पहुँच गया।

इतनी में मैंने उसकी जींस और पेंटी नीचे सरका दी। फिर उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार

 दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के बगल में लेटे थे। मैंने देर न करते हुए

उसे अपनी बाहों में समेट लिया और कहा- मैं तुम्हारे बदन की गर्मी लेना चाहता हूँ,

 इसका अहसास लेना चाहता हूँ !

रिया बोली- केवल आप ही नहीं मैं भी यही चाहती हूँ !

उसका इतना कहना था कि मैं तो खुशी से पागल हो गया। फिर मैंने अपनी जीभ से 

उसका पूरा बदन चाटा, फिर मैं उसकी टांगों के बीच गया और उसकी गुलाबी पंखुड़ी 

वाली चूत मेरी आँखों के सामने थी। उसकी चूत में हल्के-हल्के बाल थे। मैंने जैसे ही

 अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी, वो तो जैसे पागल ही हो उठी और उसके पूरे शरीर

 में एक करंट सा दौड़ गया।
वो बोली- भईया, मैं मर जाउंगी !
 
और मैंने उसकी चूत के अन्दर अपनी जीभ घुसा दी तो वो बोली- भईया, मुझे भी

आपका लंड चूसना है !
तो हम 69 की मुद्रा में आ गए। अब हम दोनों 10 मिनट तक एक-दूसरे को ऐसे ही

 चूसते रहे और फिर हम दोनों एक एक करके झड़ गए। इसके बाद हम दोनों एक

दूसरे के ऊपर लेट गए। थोड़ी ही देर में हम फिर से गर्म हो गए और मैं उसकी चूत में

 ऊँगली करने लगा तो वो बोली- भईया, अब नहीं रहा जाता ! अपना लंड अन्दर डाल

 दो !
मैं उसकी टांगो के बीच आ गया, उसकी चूत अभी कुँवारी थी और मैं उसे दर्द नहीं

पहुँचना नहीं चाहता था, इसलिए मैंने पहले अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया, फिर

 उसकी चूत पर भी थूक से मालिश कर दी। मेरा लुंड सात इंच लम्बा और तीन इंच

मोटा है।
उसके बाद मैंने अपना लंड रिया की चूत पर लगाया और हल्के-हल्के लंड को अन्दर
 करने लगा, पर जा नहीं रहा था इसलिए मैंने एक हल्का सा धक्का लगा दिया तो रिया जैसे तड़प सी गई और उसके मुँह से आह की आवाज़ निकल गई। मेरे लंड का सुपारा अन्दर जा चुका था। फिर मैं थोड़ी देर के लिए रुक गया और उसके चूचे मुँह में लेकर चूसने लगा। फिर थोड़ी देर बाद मैंने हल्के-हल्के लंड अन्दर डालना चालू किया

और बीच बीच में हल्का सा धक्का भी मार देता था जिससे कि उसकी चीख निकल
 जाती थी। लेकिन मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख रखे थे जिससे उसकी चीख

बाहर न जाये। अब तक मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जा चुका था। उसकी चूत बहुत ही
 कसी थी और मैं हल्के-हल्के अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा। शुरु में तो उससे थोड़ा दर्द हुआ पर फिर उसे भी मज़े आने लगे और वो अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगी।
अब हम दोनों चुदाई का पूरा आनंद ले रहे थे। वो कह रही थी- भईया और जोर से !
मैं भी रिया से कह रहा था- देख ! बहन को अपने भाई से चुदने में कितना मज़ा आता है !
वो बोली- हाँ भईया, सही में बहुत मज़ा आ रहा है ! यह तो सबको करना चाहिए ! लेकिन दुनिया के ये झूठे रिवाज़ हमें रोके रखते हैं। भईया, मैं तो ये सोचती हूँ कि कोई भी किसी के साथ भी चुदाई कर सकता है। इससे क्या फर्क पड़ता है कि वो रिश्ते में क्या लगते हैं, आखिर वो हैं तो मर्द और औरत ही !
और हम ऐसे ही बातें करते करते चुदाई का आनंद लेते रहे। शायद रिया एक बार झड़ चुकी थी, अब मैं भी चरम सीमा तक पहुँच चुका था और फिर उसके बाद हम दोनों एक साथ एक दूसरे में समां गए और अपना अपना पानी एक दूसरे में मिला दिया और एक दूसरे को पूरी ताकत से पकड़ लिया।
फिर हम दस मिनट तक ऐसे ही पड़े रहे और उसके बाद बाथरूम में जा कर एक दूसरे को साफ़ किया। हम लोग उस वक़्त भी बिलकुल नंगे थे, मुझे रिया के चूतड़ दिखाई दिए बिल्कुल गोल-गोल और मुलायम ! बिल्कुल गोरे-गोरे और चिकने !
मेरा लंड फिर से जोर मारने लगा। मैं उसके पास गया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया और ले जाकर उसे फिर से बिस्तर पर डाल दिया।
वो बोली- भईया, अब क्या?
मैंने उससे कहा- बहन, मुझे तेरी गांड मारनी है !
तो वो बोली- नहीं भईया ! मुझे बहुत डर लगता है, गांड मरवाने में तो बहुत दर्द होगा !
तो मैंने उससे कहा- मैं दर्द नहीं करूँगा, आराम आराम से करूँगा !
वो बोली- भईया, मार लेना मेरी गांड, लेकिन अभी नहीं, अभी बहुत देर हो गई है और माँ भी उठने वाली होगी हम गांड का प्रोग्राम किसी और दिन करेंगे।
मैं मान गया और उसके होठों का एक लम्बा चुम्मा लिया और उसके चूचे भी दबाये। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और फिर रिया चाय बनाने चली गई।
मैंने और रिया ने मिलकर चाय पी। फिर वो अपने कमरे में चली गई।
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मैंने अपनी बहन रिया की कुआरी चूत की सील तोड़ी

Girls and female , ladies , anunty and bhabhie all are requested you to contact me for paid sex and sex chet ,or chudai on my mail Mera email hai ----- manojpyasa007@gmail.com  मेरा नाम भोंदू है, मैं  नॉएडा में रहता हूँ, मेरी आयु 35 वर्ष है, मैं सेहत में ठीक हूँ और स्मार्ट भी हूँ !
मेरी बहन 18 वर्ष की है परन्तु उसका बदन काफी भरा हुआ है और वह जवानी की दहलीज पर कदम रख चुकी है, हालांकि मेरी शादी हो गई है, पर उसको देख कर दिल में कुछ होने लगता था, जब मैं उसको खेलते हुए देखता, खेलने के दौरान उसके उभरते हुए दूध देखता तो मेरे दिल में सनसनी फ़ैल जाती थी, दौड़ने के दौरान जब गोल गोल चूतड़ ऊपर-नीचे होते तो मेरा लण्ड पैंट के अन्दर मचल उठता था और उसके साथ खेलने (सेक्स का खेल) के लिए परेशान करने लगता था।
क्या कमसिन खिलती हुई जवानी है इसकी ! मुझे अपनी पाँच वर्ष पुरानी बीवी तो बूढ़ी लगने लगती थी। मैं तो जब भी अपनी बीवी को चोदता तो मुझे अपनी बहन का ही चेहरा नजर आने लगता था। हालांकि मेरी बहन मुझसे करीब सतरह वर्ष छोटी है, परन्तु मैं अपनी सेक्स भावनाओं पर काबू पाने में अस्मर्थ था। चूंकि हम लोगों का सम्मिलित परिवार है इसलिए सब एक दूसरे के यहाँ आते जाते थे और एक ही घर में रहने के कारण कभी कभार कुछ ऐसा दिख जाता था कि...
एक दिन मुझे अपनी बहन को नहाते हुए देखने का मौका मिल गया।
 मैंने रिया को आवाज़ दी पर कोई उत्तर न मिलने के कारण मैं अन्दर चलता चला गया, मुझे कोई दिखाई नहीं दिया। तभी मुझे स्नानघर से पानी गिरने की आवाज़ आई।
मैंने फिर से रिया को आवाज़ दी तो स्नानघर से रिया की आवाज़ आई- भैया, चाचा  तो ऑफिस चले गए हैं।
मैंने कहा- अच्छा !
और वापस आने के लिए मुड़ गया किन्तु तभी मेरे मन में बसी वासना ने जोर मारा, मैंने सोचा कि रिया कैसे नहा रही है,
मैंने स्नानघर की तरफ रुख किया और कोई सुराख ढूढने की कोशिश करने लगा, जल्दी ही मुझे सफलता मिल गई, मुझे दरवाजे में एक छेद नजर आ गया मैंने अपनी आँख वहाँ जमा दी।
अन्दर का नजारा देख कर मेरा रोम रोम खड़ा हो गया, अन्दर रिया पूरी नंगी होकर फव्वारे का आनंद ले रही थी।
हे भगवान ! क्या फिगर है इसका ! बिल्कुल मखमली बदन, काले तथा लम्बे बाल, उभरती हुई चूचियाँ, बड़ी बड़ी आँखें, बिल्कुल गुलाबी होंठ और उसकी चूत तो उफ़.... उभरी हुए फांकें और उसके आसपास हल्के हलके रोयें ! उसकी गाण्ड एकदम गोल और सुडौल ! भरी हुई जांघें !
इतना दखने के बाद मेरा तो बुरा हाल हो गया था, जब फव्वारे से उसके शरीर पर पानी गिर रहा था तो मोतियों की बूंदें ऐसे लग रही थी, मेरा तो हाल बुरा हो गया, मैंने बहुत कुंवारी लड़कियों को चोदा था पर इतनी मस्त लौंडिया मैंने कभी नहीं देखी थी।
तभी मैंने देखा कि रिया अपनी चूत और चूचियों में साबुन लगा रही है, इस दौरान वो अपनी चूत में अपनी ऊँगली डालने की कोशिश कर रही थी। मेरा लण्ड तो कठोर होकर पैंट के अन्दर छटपटा रहा था, मन में भी यही आ रहा था कि कैसे भी हो रिया को अभी जाकर चोद दूँ।
क्योंकि आज के पहले जब मैं उसको कपड़ो में देख कर चोदने के सपने देखता था और आज नंगी देखने के बाद तो काबू कर पाना बड़ा मुश्किल हो रहा था। तभी मेरा मोबाइल बज गया, यह तो अच्छा हुआ कि मोबाइल वाईब्रेशन मोड में था और घंटी नहीं बजी।
खैर मोबाइल की वजह से मैं धरती पर वापस आ गया
तो वे बोले- आज मुझे ऑफिस से आने में देर हो जायेगी और रिया को आज मैंने वादा किया था कि कुछ कपड़े दिलाने बाज़ार ले जाऊँगा, क्या तुम मेरा यह काम कर सकते हो?
मुझे तो मुँह मांगी मुराद मिल गई थी, मैंने तुरंत कहा- चाचा  आप परेशान न हों, मैं रिया को कपड़े दिला दूँगा।
और उधर से उन्होंने थैंक्स कह कर फ़ोन काट दिया।
इतने में मुझे बाथरूम का दरवाजा खुलने का अहसास हुआ, मैं तुरंत वहां से हट कर अपने कमरे में आ गया। मेरे दिमाग में योजना बननी शुरू हो गई कि कैसे मौके का फायदा उठाया जाए।
फिर मैं थोड़ी देर बाद रिया के कमरे में गया, वो अपने बाल सुखा रही थी पंखे के सामने बैठ कर।
मुझे देखते ही तुरंत खड़ी हो गई।
मैंने कहा- रिया कैसी हो?
वो बोली- ठीक हूँ भैया।
मैंने कहा- अभी पापा का फ़ोन आया था, कर रहे थे कि आज तुमको शॉपिंग ले जाना था परन्तु आफिस में काम ज्यादा है, उन्हें देर हो जायेगी और तुमको शापिंग मैं करवा लाऊँ। उसने कहा- ठीक है भैया, कितने बजे चलेंगे?
मैंने कहा- तुम तैयार हो जाओ, हम लोग अभी निकलेंगे और दोपहर का खाना भी बाहर खायेंगे  तुम्हारी भाभी (मेरी पत्नी चूंकि टीचर है) तो शाम तक आएँगी, आज मैं शॉपिंग के साथ तुमको पार्टी भी दूँगा।
उसके चेहरे पर चमक आ गई।
खैर मैंने 11 बजे के करीब उसको अपने स्कूटर पर बैठाया और निकल पड़ा बाजार जाने को !
मैंने स्कूटर एक बड़े मॉल में जाकर रोका, तो रिया चौंक कर बोली- भैया, यहाँ तो बड़े महंगे कपडे मिलेंगे?
मैंने उससे कहा- तो क्या हुआ, महँगे कपड़े अच्छे भी तो होते हैं ! और फिर तुम इतनी सुन्दर हो, अच्छे कपड़ों में और ज्यादा सुन्दर लगोगी।
तो उसका चेहरा लाल हो गया।
मॉल के अन्दर जाकर कपड़े पसन्द करते समय वो मुझसे बार-बार पूछती रही- भैया, यह कैसा लग रहा है? वो कैसा है?
खैर चार जोड़ी कपड़े चुन करके वो ट्राई रूम में गई। ट्राई रूम थोड़ा किनारे बना था और उस समय माल में ज्यादा लोग थे भी नहीं, मैं ट्राईरूम के बाहर ही खड़ा हो गया।
वो पहन कर आती और मुझसे पूछती- यह कैसा लग रहा है? ठीक है या नहीं?
उसने वो चारों जोड़ी कपड़े पसन्द कर लिए।
उसके बाद मैंने पूछा- रिया, और कुछ लेना है?
तो वो बोली- हाँ, मगर वो मैं अकेले ही ले लूंगी।मैंने सोचा ऐसा क्या है, खैर मैंने देखा कि वो महिला सेक्शन में जा रही थी।
उसने कुछ अंडर गारमेंट लिए और जल्दी से पैक करा लिए जब वो लौट कर मेरे पास आई तो मैंने कहा- मैंने तो देख लिया है।
तो वो शर्मा गई।
मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- तुम इनका ट्रायल नहीं दिखाओगी क्या?
तो वो और शरमा गई।
मैंने माहौल को सामान्य करते हुए कहा- मैं तो इसलिए कहा रहा था कि तुम्हारी भाभी को तो यह सब मैं ही ला कर देता हूँ, अगर तुम इसके लिए भी मुझसे कहती तो मैं तुमको अच्छी चीज दिला देता।
बात उसकी समझ में आ गई, वो बोली- भैया गलती हो गई।
मैंने कहा- चलो अभी चलते हैं।
मैं उसको महिला विभाग में ले गया और सेल्स गर्ल से विदेशी अंतर्वस्त्र दिखाने को कहा।
चूंकि रिया थोड़ी देर पहले ही उससे कुछ अंतर्वस्त्र लाई थी, अतः उसने उसी नाप के अंतर्वस्त्र दिखाने लगी।
उन अंतर्वस्त्रों को देख कर रिया के अन्दर की ख़ुशी मैंने उसके चेहरे से पढ़ ली, मैंने कहा- चलो जाओ और ट्राई करलो !
तो वो चेहरा घुमा कर हंसने लगी।
उसके बाद मैंने उसको मुख-शृंगार का सामान भी दिलवाया अपनी पसंद से !
हालांकि वो मना कर रही थी पर मैंने कहा- यह मेरी तरफ से है।
यह सब खरीदने के बाद हम लोग वहीं एक रेस्तरां में गए। मुझे पता था कि इस समय रेस्तरां में ज्यादातर प्रेमी प्रेमिका ही आकर बैठते थे।
मैंने एक किनारे की सीट चुनी और हम दोनों उसी पर जाकर बैठ गए।
मैंने उससे पूछा- तुम क्या खाओगी?
तो वो बोली- जो आप मंगा लेंगें वही मैं भी खा लूंगी।
मैंने उसको छेड़ते हुए कहा- अंतर्वस्त्र लेते समय तो यह ख्याल नहीं किया? और फिर मेरे कहने पर ट्राई भी नहीं किया?
तो वो शरमा गई और बोली- क्या भाभी आपकी पसंद से लेती हैं? और वो यहाँ पर ट्राई करके दिखाती हैं?
तो मैंने कहा- हाँ ! पसंद तो मेरी ही होती है पर ट्राई करके वो घर पर दिखाती है। क्या तुम मुझे घर पर दिखाओगी?
उसको कोई जवाब नहीं सूझा तो वो मेरा चेहरा देखते हुए बोली- हाँ दिखा दूँगी।
मेरा दिल जोर से धड़कने लगा। तभी वेटर आ गया और खाने का आर्डर ले गया।
खाना ख़त्म कर हम लोग करीब दो बजे घर आ गए, प्रिया बहुत खुश लग रही थी क्योंकि उसको मेरे साथ शॉपिंग में कुछ ज्यादा ही अच्छा लगा।
शाम को उसने अपनी शॉपिंग का सामान मेरी माँ और बीवी को भी दिखाया पर अंतर्वस्त्र और शृंगार का सामान नहीं दिखाया।
दूसरे दिन सुबह मेरी माता जी को कुछ काम से बाजार जाना था, मेरी बीवी स्कूल चली गई थी, मैं कल वाले समय पर ही चाचा जी के कमरे की तरफ चला गया और मैंने आज पहले ही निश्चय कर लिया था कि आज अपनी प्यारी सेक्सी बहना की कुँवारी चूत की सील तोड़नी हैं।
इसलिए मैं केवल एक तौलिया बांधे था, मेरा अनुमान सही था, चाचा  ऑफिस जा चुके थे और रिया बाथरूम में नहा रही थी।
मैंने फिर से कल वाली पोजिसन ले ली, मैंने देखा कि आज रिया की चूत बिल्कुल चिकनी है, शायद उसने अपनी झांटें साफ़ की हैं नहाने से पहले। आज वो अपनी चूत पर हाथ ज्यादा चला रही थी, उसकी चूचियाँ कड़ी कड़ी लग रहीं थी और आँखें बंद थी।
मेरा लण्ड रिया की चूत में घुसने के लिए मचला जा रहा था।
कुछ सोच कर मैं वहाँ से हट कर रिया के कमरे में चला गया और ऐसी जगह बैठ गया कि वो मुझे कमरे में घुसते ही न देख पाए।
रिया थोड़ी देर बाद कमरे में आई, वो अपने बदन को केवल एक तौलिये से ढके थी, कमरे में आते ही वो अपने ड्रेसिंग टेबल की तरफ गई और तौलिया हटा दिया।
उफ़ क्या मस्त लग रही थी मेरी बहना ! उसके शरीर पर यहाँ वहाँ पानी की बूंदें मोती की तरह लग रही थी, चूत एकदम गुलाबी, चूचियाँ बिल्कुल कड़ी, उन्नत गाण्ड देख कर मेरी तो हालत ख़राब हो गई।
उसने कल वाले अंतर्वस्त्र उठा लिए, उनमे से एक को चुना और पैंटी को पहले पहनने लगी।
किन्तु उसको शायद वो कुछ तंग लगी, फिर उसने दूसरी पैंटी ट्राई किया मगर वही रिजल्ट रहा, अब उसने पैंटी छोड़ कर ब्रा उठाई लेकिन ब्रा में भी वही हुआ, उसकी चूचियाँ कुछ बड़ी लग रही थी, ब्रा भी फिट नहीं थी।
अब मुझसे बर्दाश्त भी नहीं हो रहा था, मैंने अपनी जगह से खड़ा हो गया।
मुझे देख कर उसकी आँखें फट गई, वो इतना घबरा गई कि अपनी चूत या अपनी चूची छिपाने का भी ख्याल नहीं आ पाया उसको !
बस फटी हुई आँखें और मुँह खुला रहा गया।
मैं धीरे से चल कर उसके पास गया और कहा- कल अगर मेरी बात मान लेती और ट्राई कर लेती तो तुमको आज यह परेशानी नहीं होती।
अब उसको कुछ समझ आया तो जल्दी से तौलिया उठाया और लपेटने के बाद मेरी तरफ पीठ करके पूछा- भैया, आप कब आये?
मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर कहा- मेरी सेक्सी बहना ! मैं तो तब से यहाँ हूँ जब तुम mosh ji के रेजर से अपनी झांटें साफ़ कर रही थी।
मैंने ऐसे ही तुक्का मारा।
अब तो तौलिया उसके हाथ से छूटते बचा।
वो मेरी तरफ बड़े विस्मय से देखने लगी और मेरे चहरे पर मुस्कराहट थी क्योंकि मेरा तीर निशाने पर लग गया था।
मैंने उसके कंधे को सहलाते हुए कहा- तुमने कुछ गलत थोड़े ही किया है जो डर रही हो? इतनी सुन्दर चीजों की साफ़ सफाई तो बहुत जरूरी होती है। अब तुम्हीं बताओ कि ताजमहल के आसपास अगर झाड़-झंखार होगा तो उसकी शान कम हो जायेगी न मेरी प्यारी बहना?
अब पहली बार वो मुस्कुराई और अपनी चूत की तारीफ सुन कर उसके गाल लाल हो गए।
अगले पल ही वो बोली- खैर अब आपने ट्रायल तो देख ही लिया, अब आप बाहर जाइए तो मैं कपड़े तो पहन लूँ !
मैंने कहा- प्यारी बहना, अब तो मैंने सब कुछ देख ही लिया है, अब मुझे बाहर क्यूँ भेज रही हो?
वो बोली- भैया, आप भी बहुत शैतान हैं, कृपया आप बाहर जाइए, मुझे बहुत शरम आ रही है।
अचानक मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर डाले और हल्का सा झटका दिया तो वो संभल नहीं पाई और उसकी चूचियाँ मेरे नंगे सीने से आकर टकराईं क्योंकि मैंने भी केवल तौलिया ही पहना हुआ था।
मैंने अपने हाथों के घेरे को और कस दिया ताकि वो पीछे न हट सके और तुरंत ही अपने होंठों को उसके गुलाबी गुलाबी होंठों पर रख दिया।
मेरे इस अप्रत्याशित हमले से उसको सँभालने का मौका ही नहीं मिला और मैंने उसको गुलाबी होंठों का रस पीना शुरू कर दिया।
वो मेरी पकड़ से छुटने के लिए छटपटाने लगी मगर मुँह बंद होने के कारण कुछ बोल नहीं पा रही थी।
थोड़ी देर उसके कुवांरे होंठों को चूसते हुए मेरे हाथ भी हरकत में आ गए, मैंने अपना एक हाथ तौलिये के नीचे से उसकी सुडौल गाण्ड पर फेरना शुरू किया और फेरते फेरते तौलिये को खीँच कर अलग कर दिया।
अब एक 18 वर्ष की मस्त और बहुत ही खूबसूरत लौंडिया बिल्कुल नंगी मेरी दोनों बाँहों के घेरे में थी और मैं उसके कुँवारे होंठों को बुरी तरह से चूस रहा था, अब मेरा हाथ उसके गाण्ड के उभार से नीचे की तरफ खिसकने लगा, उसकी छटपटाहट और बढ़ रही थी, मेरा हाथ अब उसकी गाण्ड के छेद पर था, उंगली से मैंने उसकी मस्त गाण्ड के फूल को सहलाया, तो वो एकदम चिहुंक गई।
फिर मेरी उंगलियाँ गाण्ड के छेद से फिसलती हुई उसकी कुँवारी चूत तक पहुँच गई। मैं उसकी कुँवारी चूत के ऊपर अपनी पूरी हथेली से सहलाने लगा, मेरा तना हुआ सात इंच का लण्ड तौलिये के अन्दर से उसके नाभि में चुभ रहा था क्योंकि उसकी लम्बाई में मुझसे थोड़ी कम थी। उसकी आँखों से गंगा-जमुना की धार निकल पड़ी क्योंकि उसको शायद मेरे इरादे समझ आ गए थे और वो यह भी समझ गई थी कि अब पकड़ से छूटना आसान नहीं, शोर भी नहीं मचा सकती थी क्योंकि उसके होंठ मेरे होंठो में अभी तक कैद थे।
इधर मेरी उंगलियाँ अब उसकी कुँवारी चूत की फांकों को अलग अलग करने लगीं थी, मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी चूत के अंदर घुमा कर जायजा लेना चाहा पर उसकी चूत इतनी कसी हुई थी कि मेरी उंगली उसके अन्दर जा ही नहीं सकी।
खैर मैंने उसको धीरे धीरे सहलाना चालू रखा, जल्दी ही मुझे लगा कि मेरी उंगली में कुछ गीला और चिपचिपा सा लगा और मेरी प्यारी बहना का शरीर कुछ अकड़ने लगा, मैं समझ गया कि इसकी चूत को पहली बार किसी मर्द की उंगलियों ने छुआ है जिसे यह बर्दाश्त नहीं कर सकी और इसका योनि-रस निकल आया है
मैं तुरंत अपनी उँगलियों को अपने मुँह के पास ले गया, क्या खुशबू थी उसकी कुँवारी चूत की !
मेरा लण्ड अब बहुत जोर से उछल रहा था तौलिये के अन्दर से, मैंने अपने हाथ से अपने तौलिए को अपने शरीर से अलग कर दिया, जैसे ही तौलिया हटा, रिया को मेरे लण्ड की गर्मी अपने पेट पर महसूस हुई। शायद उसको कुछ समझ नहीं आया कि यह कौन सी चीज है जो बहुत गर्म है।
खैर अब मेरे और मेरी प्यारी और सेक्सी बहना के बदन के बीच से पर्दा हट चुका था, अब हम दोनों के नंगे शरीर एक दूसरे का अहसास कर रहे थे। रिया की साँसें बहुत तेज चल रही थी।
अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था, मैंने रिया के होंठों को आज़ाद कर दिया, किन्तु उसके कुछ बोलने के पहले ही अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख दिया और कहा- देखो रिया, आज कुछ मत कहो, मैं बहुत दिन से तुम्हारी जवानी कर रस चूसने को बेताब हूँ। और आज मैं तुमको ऐसे नहीं छोडूंगा, शोर मचाने से कोई फायदा हैं नहीं, घर में हमारे सिवा कोई नहीं है, तो बेहतर होगा कि तुम भी सहयोग करो और मजा लूटो।
वो प्रश्नवाचक निगाहों से मुझे देखती रही, मुँह तो बंद हो था कुछ बोलने की स्थिति में नहीं थी।
अब मैंने उसके मुँह से हाथ हटा दिया और तुरंत ही उसको गोद में उठा लिया और ले जाकर सीधे बिस्तर पर लिटा दिया।
अगले ही पल फिर से उसके होंठ का रस पान शुरू कर दिया और हाथ उसकी चूचियों को धीरे धीरे मसलने लगे। हम दोनों की साँसें बहुत गर्म और तेज तेज चल रहीं थी, मेरा लण्ड उसकी कुँवारी चूत की फांकों के ऊपर था।
पहली बार उसके हाथों ने हरकत की और मेरे लण्ड की अपने हाथ से महसूस करने की कोशिश की, शायद वो जानना चाह रही थी कि यह लोहे जैसा गर्म-गर्म क्या उसकी चूत से रगड़ रहा था। उसने अपनी उंगलियों से पूरा जायजा लिए मेरे लण्ड का !
मैंने कहा- मेरी जान, मुझे बहुत अच्छा लगा जो तुमने मेरा लण्ड अपने हाथों से छुआ !
लण्ड का नाम सुनते ही उसने अपने हाथों को तुरंत वापस खींच लिया।
मैंने अब अपने होंठ उसकी चूची के ऊपर रख दिए, पहली बार उसके मुँह से सिसकारी निकली जो मुझे बहुत ही अच्छी लगी। खैर मैंने उसकी चूची को पीना शुरू कर दिया, चूसते चूसते दाँत भी लगा देता था। उसके बाद दूसरी चूची में होंठ लगा दिए, अब उसकी साँसें और तेज हो गईं थीं।
मैंने महसूस किया कि मेरा लण्ड जो उसकी चूत की फांकों के ऊपर था, उसमें कुछ चिपचिपा सा गीलापन लग गया है। मैं समझ गया कि अब मेरी बहना की कुँवारी चूत लण्ड लेने के लिए तैयार हो गई है।
मैंने अपने एक हाथ से अपने लण्ड को रिया  की चूत पर ठीक से टिकाया और उसको चूत के अन्दर डालने की कोशिश की पर लण्ड उसकी चूत से फिसल गया। मैंने फिर कोशिश की पर फिर मेरा लण्ड फिसल गया।
अब मैंने इधर उधर देखा तो मुझे उसके कल ख़रीदे गई श्रृंगार का सामान दिख गया, उसमें एक वैसलीन की एक शीशी थी, मैं उसके ऊपर से हटा और वैसलीन की शीशी उठा कर तुरंत फ़िर से अपनी उसी अवस्था में आ गया।
मैंने लेटे लेटे ही वैसलीन की शीशी खोली और उसकी उसकी चूत के उपर खूब सारी वैसलीन लगा दी, फिर मैंने अपने लण्ड के सुपारे को खोला और उसमें भी वैसलीन लगाई।
इस सबको मेरी रिया रानी बड़े गौर से देख रही थी, शायद उसको कुछ समझ में आ रहा था या फिर उसको अन्दर से कुछ मजा तो जरूर मिल रहा होगा क्योंकि अब उसने किसी तरह का विरोध या भागने की कोशिश नहीं की थी।
अब मैंने अपने लण्ड को फिर से उसकी चूत के फांकों के बीच में रखा और अन्दर धकेलने की कोशिश की किन्तु इस बार शायद चिकनाई ज्यादा होने के कारण लण्ड उसकी चूत से फिर फिसल गया।
रिया ने तो अपने होंठ कस कर भींच लिए थे क्योंकि उसको लगा कि अब तो भैया का मोटा और लम्बा लण्ड उसकी कुँवारी चूत में घुस ही जाएगा।
दोस्तो, तीन प्रयास हो चुके थे, मेरा लण्ड ऐंठन के मारे दर्द होने लगा था, अबकी मैंने अपने लण्ड को फिर से रखा और अपने दोनों हाथों को रिया की जांघों के नीचे से निकाल कर उसके कन्धों को पकड़ लिया, इस तरह पकड़ने के कारण अब वो बिल्कुल पैर भी नहीं बंद सकती थी और हिल भी नहीं सकती थी।
अब मैंने एक जोर से धक्का मारा, रिया के हलक से बड़ी तेज चीख निकल पड़ी, मेरे लण्ड का सुपारा उसकी चूत की फांकों को अलग करता हुआ अन्दर घुस गया था।
वो चिल्लाने लगी- हाय, मैं मर गई !
और आँखों से गंगा-जमुना बहने लगी। वो बड़ी तेजी से अपना सर हिला रही थी, अब मैंने अपने होंठ फिर से उसके होंठों पर कस कर चिपका दिए और एक जोर का धक्का फिर मारा, अबकी मेरा लण्ड उसकी चूत को और फाड़ता हुआ करीब दो इंच घुस गया, उसकी चूत एकदम गरम भट्टी बनी हुई थी, मैं अपने लण्ड के द्वारा उसकी कुँवारी चूत की गर्मी महसूस कर रहा था।
2-3 सेकेण्ड के बाद फिर से एक धक्का मारा तो अबकी आधे से ज्यादा लण्ड उसकी चूत में घुस गया। अब मैं उसी अवस्था में रुक गया और उसके होंठों को कस कर चूसने लगा। उसकी चूत इतनी कसी हुई थी कि मुझे लगा कि मैं आसानी से अपने लण्ड को उसकी चूत में अन्दर-बाहर नहीं कर पाऊँगा और उत्तेजना के कारण जल्दी ही झड़ जाऊँगा, इसलिए मैंने जोर से एक धक्का और मारा, अबकी मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समां गया, मैंने अपनी जांघ पर कुछ गीला गीला महसूस किया, मुझे समझ आ गया कि इसकी चूत की झिल्ली फट गई है और खून निकल रहा है।
पर मुझे अपनी बीवी के साथ भी यह मौका नहीं मिला था, हालांकि मेरी बीवी ने तब मुझे यही बताया था साईकिल चलाते वक्त उसकी चूत की झिल्ली फट गई थी, तो आज जब मुझे अपनी बहन रिया की सील टूटने का अनुभव मिला तो मैं इतना उत्तेजित हो गया कि मैं अपने आप पर काबू नहीं कर पाया और इसी उत्तेजना में मेरा वीर्य निकलने लगा। मेरा गर्म-गर्म वीर्य मेरी बहन रिया की चूत के अन्दर निकल रहा था, वो भी मेरे लण्ड से निकलने वाले गर्म वीर्य को महसूस कर रही थी अपनी दोनों आँखों को बंद करके !
रिया की चूत इतनी कसी हुई थी कि वीर्य निकलने के दौरान लण्ड अपने आप झटके मरने लगता है, पर मेरे लण्ड को उसकी चूत के अन्दर झटके मारने की जगह भी नहीं मिल रही थी।
खैर मेरा लण्ड वीर्य निकलने के बाद कुछ ढीला हुआ, मैं धीरे से उठा, देखा तो रिया की चूत से खून का ज्वालामुखी फट गया था, उसकी जांघ, मेरी जांघ और चादर खून से सनी हुई थी, उसकी चूत से अब गाढ़ा खून (मेरे वीर्य की वजह से) निकल रहा था।
मैंने देखा रिया बेहोश सी लग रही थी, मैं जल्दी से रसोई में गया और पानी की बोतल लाकर उसके चेहरे पर पानी के छीटें मारे, उसने धीरे से आँखें खोली, मुझे उसकी करराहट साफ़ सुनाई दे रही थी, आँखों से आंसू बंद ही नहीं हो रहे थे।
मैं वहीं पास में ही बैठ गया और उसके बालों को सहलाने लगा। थोड़ी देर बाद वो कुछ सामान्य हुई, तो मैंने उसे कहा- जान, चलो मैं तुम्हारी चूत को साफ़ कर दूँ, आज मैंने तुम्हारी चूत का उद्घाटन कर दिया है।
उसने थोड़ा उचक कर अपनी चूत को देखा और बोली- भैया यह क्या कर दिया आपने?
मैंने कहा- बेटा परेशान मत हो, पहली बार तो यह होता ही है और अच्छा हुआ कि मैंने कर दिया, अगर कहीं बाहर करवाती तो पता नहीं कितना दर्द होता ! चलो अब उठो भी !
मैंने उसको सहारा देकर उठाया और बाथरूम ले गया। वहाँ पर मैंने उसको शावर के नीचे खड़ा कर दिया और फिर उसकी सफाई में जुट गया। इस दौरान मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा। चूँकि हम दोनों ही निर्वस्त्र थे तो वो मेरे लण्ड को घूर रही थी।
मैंने उसकी चूत को तो साफ़ कर दिया, अब खून निकलना भी बंद हो गया था, अब मैंने उसको अच्छे से नहलाना चालू कर दिया। मैं उसकी चूचियों को रगड़ रहा था, अचानक मैं अपने घुटनों पर बैठ गया और उसकी चूत में अपना मुँह लगा दिया।
वो हिल कर रह गई।
मैंने कहा- रिया रानी, मुझे यह करने दो, इससे तुम्हारी चूत का दर्द जल्दी ठीक हो जाएगा।
और मैंने उसे चूतड़ों से पकड़ कर अपने मुँह को फिर से उसकी चूत में लगा दिया। मेरी गर्म जीभ ने अपना कमाल दिखाना आरम्भ कर दिया था। उसको जरूर मजा आ रहा था क्योंकि अब उसने अपनी आँखें बंद कर ली थी।
मेरे हाथ उसकी गाण्ड को सहलाते जा रहे थे, मैंने अपनी जीभ और अन्दर घुसेड़ दी, मेरे लण्ड ने कुछ जगह तो बना ही दी थी उसकी चूत में, अचानक उसका बदन अकड़ने लगा और फिर मुझे अपनी जीभ में कुछ नमकीन सा स्वाद मिला, उसकी चूत की खुशबू और इस स्वाद ने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया कि मैं उसके रज की एक एक बूँद चाट गया।
अब उसने मेरा मुँह हटाने की कोशिश की और बोली- भैया, मुझे पेशाब आ रही है
मैंने कहा- रिया, मेरी जान ! तुमको अभी नहीं पता है कि तुमने मेरा कितना बड़ा ख्वाब पूरा किया है, जो चीज मुझे अपनी बीवी से हासिल नहीं हो पाई, वो तुमने मुझे दी है, तुम्हारे लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ।
अब मैं खड़ा हो गया था, मेरा लण्ड अभी भी तना हुआ था, मैंने उसका हाथ लेकर अपने लण्ड पर रख दिया, उसने लण्ड को पकड़ लिया, और उसके बाद जो हुआ, मैं भी उस समय हिल गया था, रिया अचानक अपने घुटनों के बल बैठ गई और मेरा लण्ड अपने मुँह में ले लिया।
मुझे तो मानो स्वर्ग की प्राप्ति हो गई !
तब तक तो मैं यही समझ रहा था कि मैंने आज इसकी इच्छा के बिना इसकी सील तोड़ी है, पर अब उसके गुलाबी होंठ मेरे सुपारे को सहला रहे थे।
मैंने भी उसके सर को पीछे से पकड़ कर अपना लण्ड उसके मुँह में और घुसेड़ दिया और उसका सर बाल पकड़ कर आगे पीछे करने लगा। दोस्तो, मैं 2-3 मिनट से ज्यादा नहीं कर पाया और एक लम्बा धक्का देते हुए वीर्य की पिचकारी उसके मुँह के अन्दर मार दी। वो मेरा सारा वीर्य गटक गई, अब वो खड़ी होकर मेरे सीने से चिपक गई और मेरे कान में बोली- भैया, आपने भी तो मेरा ख्वाब पूरा किया है !
और एक गहरी मुस्कुराहट उसके चेहरे पर फैल गई।
मैं उसकी बात से इतना खुश हो गया कि मैंने उसको बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया। अब उसने भी मेरा साथ देना चालू कर दिया, मैंने उसको वहीं बाथरूम में लिटा दिया और उसके माथे, आँखों, नाक को चूमते हुए मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में घुसेड़ दी। वो मेरी जीभ को चूसने लगी, मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों को मसल रहे थे, अब बर्दाश्त करना मुश्किल था, मैंने एक हाथ से लण्ड को उसकी चूत के ऊपर सेट किया और उत्तेजना में जोर से धक्का मार दिया, मेरा आधा लण्ड उसकी चूत की फांकों को अलग करता हुआ घुस गया, वो इस बार भी चीख पड़ी और बोली- क्या आज भर में ही मार दोगे मुझे?
मैंने कहा- नहीं मेरी जान, तुमको तो बहुत सम्भाल कर रखूंगा !
फिर मैंने अपने लण्ड को धीरे धीरे डालना शुरू किया, उसको लण्ड के चूत में जाने का अहसास हो रहा था। जब मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में चला गया, तो मैंने उसकी चूचियों को पीना शुरू कर दिया। 2-3 मिनट बाद मैंने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया। अब उसको भी उत्तेजना हो रही थी क्योंकि उसने अपने हाथों का घेरा मेरी पीठ पर कस कर बाँध दिया था और बीच बीच में उपने चूतड़ भी उठा देती थी।
करीब 7-8 मिनट के बाद उसने अपने हाथों के घेरे को बहुत ज्यादा कस दिया और अपने पैरों को मेरी गाण्ड के ऊपर कस दिया। मैं समझ गया कि इसकी चूत का पानी निकलने वाला है, मैंने भी अपनी गति बढ़ा दी।
अब उसके मुँह से सिसकारियाँ निकल रहीं थी, अचानक उसका पूरा बदन ऐंठने लगा और उसने मुझे कस कर भींच लिया। इसी बीच मेरे लण्ड से भी गर्म वीर्य का लावा निकल कर उसकी चूत में भरने लगा, हम दोनों एक साथ झड़ गए, थोड़ी देर हम ऐसे ही लेटे रहे, ऊपर शावर का पानी गिर रहा था। थोड़ी देर बाद हम दोनों एक साथ ही नंगे बदन ही कमरे में आ गए।
मैंने तौलिया उठाया और लपेट लिया। वो अपने कपड़े तलाशने लगी।
हम दोनों बिल्कुल खामोश थे शायद कुछ आत्मग्लानि की वजह से !
मैं वहाँ से जाने को हुआ तो रिया  ने मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी आखों में देख कर बोली- यह सब आज के लिए ही था या फिर?
मैंने उसकी आँखों में देखा, मुझे वहाँ प्यार दिखाई दिया, मैंने उसको कस कर चिपटा लिया और बोला- मेरी जान, मैं हमेशा के लिए तुम्हारा गुलाम हो गया हूँ।
उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया, अपने कपड़े पहने।
तभी मैंने देखा कि रिया एक थाली में मेरे लिए खाना लेकर आई, मैंने देखा कि उसने पिछले दिन खरीदी हुई ड्रेस पहनी हुई थी जो मैंने पसंद की थी और परफ़्यूम लगाया हुआ था। एक बार फिर मैंने उसे गले लगा लिया और चुम्बनों की बारिश कर दी।
उसके बाद तो मेरा सिलसिला चल निकला, अब मैं और रिया सबके सामने तो भाई बहन की तरह रहते किन्तु अकेले में हम पति पत्नी की तरह रहते हैं और मजे कर रहे हैं।

Friday 23 August 2013

चाची ने चूत मरवाई अपने लड़के से

 मेरी उम्र 18 साल   की  है  और  मैं  अपनी  माँ    के   साथ   अकेला      रहता  हूँ   पापा  फौज  में  है  जिस  वजह  से  वो  साल   में  2 या   3 बार  ही    ghar   आते  है  और  जब  भी  आतें  है  तो  मम्मी  की  जमकर  चुदाई  करते  है  मेरी  मम्मी  की  ऐज   भी  अभी  ज्यादा  नहीं  थी  वो  कम  ऐज   में  शादी   हो  जाने के कारन  वो  अभी   सिर्फ    36 साल  की  ही  थी  और  उनका    फिगर  बहुत  मेंटेन  था   उनको देखकर  किसी  भी  जवान  और  बुड्डे   के  जोश  आ  सकता  है  और  उनकी  चूची  भी  अभी  ज्यादा  बड़ी  नाहि   थी  हमारे  पड़ोस   में  एक   चाची   रहती  थी  जिनकी  ऐज   करीब  40 साल  की  रही  होगी  जब  पापा  नहीं  रहते  तो  वो  अक्सर  घर  आ  जाया  करती  थी  एक  दिन  जब  मैं  नह  रहा  था   तब  चाची  आ  गयी  और  मम्मी   से  बातें  करने  लगी  और  तब  वो  बोली  की  करीना  एक  बात  बताओ  जब  तुम्हारे  पति  चले  जाते  है  और  महीनों  के  बाद  आते  है  तब  तुम  क्या  करती  हो  तब  मम्मी  बोली  की  करना  क्या  है  बस  बर्दास्त  करती  हूँ  आग  लगी  रहती  है  और  उनकि  याद  बहुत  आती   है  तो  मोमबत्ती  से  काम  चला  लेती  हूँ  और  फिर  मां   ने  चाची   से  पुछा  जब  तुम्हारे  पति  बहार  जाते  है  तब  आप  क्या  करती   हो ?  और  मैं  नह  चूका  था  पर  फिर  भी  दोनों  की  बातें  सुनने  को  वहीँ  रुक  रहा  और  फिर  मैंने  चाची   की  आवाज़  सुनी  की  भाई  मैं  तो  अपना  मसला  हलकर   लेती  हूँ  तेरी  तरह  मोमबत्ती  से  काम  नहीं  चलाती  हूँ  तब  मम्मी  ने  पुछा  की  भला  कैसे ?तब  चाची   बोली  की  मैं  अपने  बेटे  वीरू  से  अपनी  प्यास  शांत  करती  हूँ  मम्मी  ने  पुछा  की  मतलब  क्या  तू  अपने  बेटे  से  चुदवाती  है ?तब  चाची   बोली  हाँ  मेरी  रानी  बहुत  मज़ा  आता  है  वीरू  से  चुदवाने  में  बहुत  मोटा  और  लम्बा  है  उसका  लंड  पूरी  तरह  से  जवान  कर  देता  है  मुझे  तो  वो  तब  मम्मी  ने  कहा  हटिये  मुझे  शर्म  आती  है  तब  चाची   ने  मम्मी  की  चूची  को  पकड़  लिया  और  मसलने  लगी  तब  मम्मी  आआअह  आआअह  करने  लगी  कहने  लगी  की  रहने  दो  चाची   काहे  आग  लगा  रही  हो  आप  तो  अपने  लड़के  से  चुदवा  लोगी  मेरा  क्या  होगा ?तब  चाची    ने   कहा  की  आज  रात  को  मैं  तुमको  अपनी  चुदाई  का  सीन  दिखाउंगी  देखना  कैसे  चोदता  है  मेरा  लड़का  ओके  तो  आज  रात  ठीक  11pm पे  और  तभी  मैं  नहा   कर  सिर्फ  टॉवल   में  बहार  आ  गया  और  चाची   मुझे  बहुत  गौर  से  देखने  लगी  और  मैं  अपने   रूम  में  आ  गया  तब  चाची   बोलि  की  तेरा  राजू  भी  तो  पूरा  जवान  है  साली  इतना  अच्छा  माल  घर  में  है  और  मोमबत्ती  से  काम  चलाती  है  तब  मम्मी  उन्हें  धत्त  कर  दी  और  वो  हस्ते  हुए  चली  गयी  और  जाते  जाते  11pm की  याद  दिल  गयी  और  रात  का   इंतज़ार  तो  मुझे  भी  था  और  रात  को  खान  खाने  के  बाद  मैं  अपने  रूम  में  चला  गया  और  वहीँ  से  चुप    कर  पड़ोस  का  नज़ारा  देखने  लगा  चाची   के  घर  के  सामने  वाली  खिड़की  हमारे  घर  के  सामने  ही  खुलती   थी  जिसे  मम्मी  की  सुविधा  के  लिए  चाची   ने  खोल   दिया  था  और  आज  लाइट  भी  ऑफ  नहीं  की  थी  तब  ही  मैंने  देखा   की  चाची   सिर्फ  पेटीकोट    और  ब्लाउज  में  ही  रूम  में  आई  और  मम्मी  की  तरफ   आँख   मार  कर    ऊँगली  से   राउण्ड   बना  कर  उसमे  ऊँगली  करने  लगी  और  तब  ही  उनका  लड़का  वीरू  सिर्फ  कच्छे   में  आया  और  चाची   की  चूचियां  हाथ   में   लेकर  मसलने  लगा और  फिर  मुह   में  भरकर  चूसने  लगा  चाची   बोली  साले  मादरचोद  पी  जा  सार  दूध  जैसे  की  बचपन  में  पीता  है  आज  जमकर  चूत    मार  मेरी  चाची   के  मुह  से  गाली   सुनकर    मेरे   साथ  साथ  माँ  की  तबियत  भी  हिरन  हो  गयी  हमने  सोचा  भी  नहीं  था  की  चाची   इतनी  अय्यास   होगी  और  तभी  वीरू  ने  उनके   सारे   कपडे  उतार  कर  उनको  एक   चेयर   पर  बैठा  दिया  और  उनकी  टांगे   फैला  दी  जिसे  की  उनकी  चूत    साफ   नज़र  आ   रही  थी  और  बोला   की   यहाँ  जंगल   क्यों  उगा   रखा  है  झांटे  क्यों  नहीं  बनाति   तुझे  मालूम  है  की  मुझे  झांटे  पसंद  नहीं  फिर  भी  चाची   बोली  की   कल  बना  लूँगि   आज  तो  तू  मेर्री  प्यास  बुझा  और  तब  वीरू  ने  उनकी  टाँगे  उठा   कर  एक  दमदा  धक्का   मार  और  चाची   बहुत  जोर  से  चिल्ला   पड़ी  ऊऊउइ  इ   ईईईईइस्स्स्स   साले  हरामी  आज    मारने    का   इरादा  है  क्या   कुत्ते  निकाल  ले  अपना  लौडा    मुझे  बहुत  दर्द  हो  रहा  है  आज  और  तब  वीरू  ने  उसकी  चूचियां  मुह  में  भरकर  चूसने  लगा  तब  चची  को  कुछ   राहत    हुई    और  थोड़ी  देर  बाद  दोनों  झड  गए   और  सुस्त  होकर  वहीँ  पर  नंगे  ही  सो  गए   और  ये  सीन  देख  कर  मेरा  और  मम्मी  का    दिमाग  भी  खराब  हो  चूका  था

अपनी बहन राखी की घर मे चूत मारी

अब मैं आपको अपने बारे में बता दूँ। मेरा नाम भोंदू  है और मैं 19 साल का हूँ। मेरे घर में 4 सदस्य हैं। मेरी मम्मी और पापा और मैं और मेरी बहन राखी। यह कहानी मेरे और मेरी बहन के बीच हुए सेक्स की कहानी है।
अब मैं आपको अपनी बहन के बारे में थोड़ा बता दूँ। वो 20 साल की है और बहुत सेक्सी है। । उसका फ़िगर 34-26-38 है। मैं जब भी उसे देखता हूँ तो मेरा लन्ड फ़ुदकने लगता है। मेरा लन्ड हमेशा उसको चोदने को तड़पता रहता। लेकिन वो मेरी बहन है इसलिये अपने हमेशा मुठ मार के रह जाता। लेकिन जब से मुझे लगा कि बहनों को चोदने में कोई बुरी बात नहीं है। आखिर वो भी तो लड़की है, उसे भी तो एक लन्ड की जरुरत है, फ़िर चाहे वो लन्ड़ उसके भाई का ही क्यों न हो।
फिर मैंने अपना मन बदला और अपनी बहन को चोदने का मौका खोजने लगा। इसी बीच मुझे जब मौका मिलता तो मैं रिया की ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूमता। ऐसा करने में मुझे बड़ा मजा आता है। (कभी आप भी करना)
एक दिन जब घर पर कोई नहीं था तो मैंने सोचा कि चलो राखी की ब्रा और पैन्टी पहनते हैं। मैं ब्रा और पैन्टी पहनकर घर में घूम रहा था कि तभी अचानक राखी आ गई। मैं दो मिनट के लिये स्तब्ध रह गया और मेरे होश उड़ गये थे। राखी मुझे देखती जा रही थी और मुझे लगा कि अब मेरी पोल खुल गई। लेकिन जैसा मैंने सोचा वैसा हुआ नहीं, रिया तो जोर जोर से हँस रही थी।
मुझे थोड़ा अटपटा लगा और मैं कमरे में भाग गया। थोड़ी देर के बाद मैं उसके कमरे में उसकी ब्रा और पैन्टी देने गया। वहा मैंने देखा कि वो अपने कपड़े बदल रही है।  की पीठ बिल्कुल नंगी थी।
मुझे देखकर उसने कहा- अच्छा हुआ कि तुम आ गये, मुझे मेरी ब्रा और पैन्टी चाहिये थी !
फिर उसने मुझ रोका और पूछा- तुम मेरी ब्रा और पैन्टी क्यों पहनते हो?
मैंने कहा- बस यूँ ही ! मुझे अच्छा लगता है तुम्हारे कपडे पहनना, लेकिन तुम माँ से कुछ मत कहना !
राखी ने कहा- नहीं कहूँगी, लेकिन मुझे एक बात बताओ- क्या तुम्हें सिर्फ़ मेरी ब्रा-पैंटी ही अच्छी लगती है, मैं नहीं?
मैंने कहा- नहीं ऐसी बात नहीं है, तुम तो मेरी बहन हो, और बहन तो सभी को अच्छी लगती है।
राखी ने कहा- अच्छा, तो तुम मेरा एक काम करोगे?
मैंने कहा- कौन सा काम?
फिर रिया काफ़ी देर तक खामोश रही और थोड़ी देर बाद बोली- यह काम तुम कर सकते हो, लेकिन शायद तुम नहीं करोगे !
मैंने कहा- तुम कहो तो जरा ! तुम मेरी बहन हो और तुम्हारा हर काम मैं करुंगा, मैं तुम्हारी राखी का फ़र्ज निभाउंगा।
यह कहकर मैंने माहौल को हल्का करने की कोशिश की। लेकिन मुझे विश्वास नहीं हुआ जो उसने कहा।
राखी ने मुझ से कहा- क्या तुम मुझे चोद सकते हो? अभी !
यह सुनते ही अचानक मैं डर गया और मैं राखी से थोड़ा दूर हो गया।
मैंने कहा- यह क्या कह रही हो तुम? तुम मेरी बहन हो और कोई भी भाई अपनी बहन को नहीं चोदता है !
राखी हँसते हुए बोली- अपनी बहन की ब्रा और पैन्टी पहनते हुए तो तुम्हें यह ख्याल नहीं आया कि मैं तुम्हारी बहन हूँ?
मैंने थोड़ा ठण्डे दिमाग से सोचा कि राखी सही कह रही है और ऐसा मोका मुझे फिर नहीं मिलेगा। फिर भी मैंने यूँ ही कहा कि यह गलत है।
उसने कहा- इसमें कोई बुराई नहीं है, किसी को कुछ पता नहीं चलेगा, घर में कोई नहीं है, तेरे पास लण्ड है और मेरे पास चूत है ! जल्दी कर मेरे भाई ! लूट ले आज अपनी बहन की इज्जत !
राखी के इतना सब कहने पर भी मैंने उससे कहा- मैं यह नहीं कर सकता, तुम मेरी बहन हो।
और इतना कहने के बाद मैं अपने कमरे में चला गया और मैं अपने आप को कोसता रहा कि मैंने अपनी बहन को चोदने का सुनहरा मौका खो दिया। लेकिन कुछ देर बाद मेरे कमरे के दरवाजे के नीचे से एक कागज (चिठ्ठी) आया। उस पर कुछ लिखा था, जिसे पढ़कर मुझे बहुत गुस्सा आया।
उस पर लिखा था- मेरे प्यारे भैया भोंदू, आज आपने यह साबित कर दिया कि आप कभी किसी लड़की को नहीं चोद सकते, भले ही वो आपकी बहन ही क्यों ना हो ! क्योंकि आप नपुंसक हो। आप में वो ताकत ही नहीं है जिसकी एक लड़की को जरुरत होती है। मुझे यह कहने में ज़रा भी शर्म नहीं कि मेरा भाई नामर्द है।
यह पढ़कर मेरे अन्दर का भाई मर गया और एक जानवर जाग गया। मैं राखी के कमरे में गया।राखी  अपने बेड पर लेट कर किताब पढ़ रही थी। मुझे देखकर वो खड़ी हो गई और मुझसे पूछा- तुम वापस क्यों आये? मैंने कहा- मैं तुम्हारी चिठ्ठी का जवाब देने आया हूँ!
और इतना कहकर मैं राखी के पास गया और उसके बाल पकड़कर खींचे और जैसे ही वो चिल्लाई तो मैंने अपने होंठ उसके होठों पर रख दिये। हम दोनों के होंठ आपस में लगभग 10-15 मिनट तक चिपके रहे। हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं अपनी बहन को चूम रहा हूँ और उसके होंठ चूस रहा हूँ।
थोड़ी देर बाद हमारे हम एक दूसरे से अलग हुए। फिर मैंने उसके पीछे जाकर उसकी शर्ट फाड़ दी, अब उसकी काली ब्रा साफ नजर आ रही थी। इतने में राखी ने अपना हाथ मेरे लन्ड पर रख दिया, और मेरा लन्ड निकाल लिया। मेरा लन्ड के बाहर आते ही मैंने कहा- यह ले मेरी प्यारी बहन ! देख ले अपने नामर्द भाई का लन्ड !
इस पर राखी बोली- ऐसा मत कहो भाई, मैंने तो सिर्फ़ तुझे उकसाने के लिये ही ऐसा कहा था, ताकि तू अपनी बहन को चोदे और मुझे मेरे भाई का लन्ड चूसने को मिले !
मैंने कहा- ठीक है, अब चूस ले जितना चूसना है अपने भाई का लन्ड।
और राखी  मेरे लन्ड को चूसने लग गई। राखी मेरे लन्ड को ऐसे चूस रही थी जैसे कोई आइसक्रीम खा रही हो। कुछ देर तक वो मेरा लन्ड ही चूसती रही। थोड़ी देर बाद मैंने उसके सारे कपड़े उतार दिये और खुद भी नंगा हो गया। नंगे होने के बाद रेखा मुझसे बोली- भैया, मेरी चूत में खुजली हो रही है, मेरी चूत की खुजली मिटाओ ना !
मैंने कहा- अभी लो बहना !
फिर मैंने उसकी चूत चाटना शुरु किया, आह ! आह क्या मुलायम चूत थी राखी की ! मजा आ गया अपनी बहन की चूत चाटकर तो। चूत चाटने के बाद मैंने उसके स्तन दबाने शुरु किये और उनको चूसने लगा। जब मैं उसकी चूत चाट रहा था और स्तन दबा रहा था तब वो सिसकियाँ ले रही थी कुछ इस तरह से- आहऽऽ ऊ...ऊ...ऊ......ऊ आह ... आउच... आह...... ऊ... ऊ............आउच !
उसकी सिसकियों से पूरा कमरा गूंज रहा था। कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा। लेकिन फिर रेखा बोली- भाई, अब बहुत हो गया चाटना-चटाना, अब असली काम शुरु करो !
फिर मैं वो काम करने के लिये तैयार हुआ जो दुनिया का कोई भी भाई करना नहीं चाहता, लेकिन जब आपकी बहन ही आपके सामने अपनी दोनों टांगें खोलकर बैठ जाये तो आप कर ही क्या सकते हैं, इसलिये मैं मजबूर था और मैंने अपना लन्ड डाल दिया अपनी बहन की चूत में !
और राखी जोर चिल्लाई- आह......आउच.........आह...............ऊ...।
फिर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरु किये और वो सिसकियाँ लेने लगी।
मैंने राखी से पूछा- मेरी प्यारी बहना, मेरी रन्डी बहना, मजा आ रहा है ना अपने भाई से चुदने में?
राखी बोली- हाँ, मेरे बहनचोद भाई, मजा आ रहा है !
इसी बीच मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती जा रही थी और उसकी सिसकियों की भी।
मैंने राखी से पूछा- लगता है तुम्हें चुदने का काफी अनुभव है। कितनों से चुदवा चुकी हो अब तक?
राखी बोली- 10 या 15 जनो से चुद चुकी हूँ अब तक !
मैंने कहा- 10-15 ? तुम क्या रन्डी बनना चाहती हो?
राखी बोली- हाँ भैया, लेकिन ये बातें बाद में करेगे, अभी तो तुम मुझे जोर-जोर चोदो और फाड़ दो मेरी चूत को ॰
फिर मैंने अपने धक्कों की गति दोगुनी कर दी और राखी को जोर-जोर चोदने लगा। राखी भी जोर-जोर चिल्ला रही थी- चोद, मादरचोद, बहनचोद चोद अपनी बहन को ! आज फाड़ दे अपनी बहन की चूत को, आह... ...आउच......... आह............... ऊ... मेरे प्यारे भैया ! चोद, चोद, चोद, फाड दे............
फिर लगभग 25-30 मिनट बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया। काफी देर तक हम एक दूसरे से चिपके रहे। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और हम दोनों ने एक दूसरे को देखा। तभी राखी हँस पड़ी। राखी के हँसने से मेरे दिल का बोझ कम हो गया। राखी ने मेरे होठों पर चूमते हुये कहा- भगवान, मेरे जैसा भाई सभी को दे !
लेकिन फिर उसने मुझे उदास देखते हुये कहा- भैया, इस बारे में ज्यादा मत सोचो, ये तो "घर की बात है।"
फिर मैं भी हँस पडा और बाजार जाकर आई-पिल लेकर आया ताकि वो माँ ना बन जाये। इस तरह हम भाई-बहन की पहली सेक्स कहानी खत्म हुई।

Thursday 22 August 2013

भाभी की सोते समय चुदाई

घर में बस हम दो भाई थे। दिनेश मुझसे दस साल बड़ा था। वो एक फ़ेक्टरी में काम करता था। भाभी रीता भी मुझसे सात साल बड़ी थी। मम्मी पापा नौकरी करते थे। घर का सारा काम भाभी पर आ गया था। मुझे यह देख कर बहुत बुरा लगता था कि वो सुबह से काम पर लग जाती थी और दोपहर को ही फ़्री हो पाती थी। धीरे-धीरे मैंने भाभी के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था। अब भाभी मुझसे बहुत खुश रहती थी। मैं उनके साथ प्याज, सब्जी आदि काट देता था। वाशिंग मशीन में कपड़े धो देता था, झाड़ू भी लगा देता था।
भाभी का काम करके मैं कॉलेज चला जाता था। मैं जवान हो चला था, कुछ सेक्स की बातों को मैं समझने भी लगा था। घर में मात्र भाभी ही थी जिसके शरीर के उभारों को देख कर मैं खुश रहता था। वो घर में अधिकतर पेटीकोट और एक तंग सा ब्लाऊज पहने रहती थी, जिसमें भाभी के सीने के उभार मुझे बहुत उत्तेजक लगते थे। भाभी भी काम करते करते थक जाती थी, फिर वो आराम करती थी। आज तो वो मेरे कमरे में आ गई थी और मुझसे कहने लगी- निर्मल, मेरी पीठ दबा दे, बहुत दर्द कर रही है। बहुत काम पड़ा है !
जल्दी क्या है भाभी? खाना तो दो बजे खाते हैं, थोड़ा आराम भी कर लिया करो !
अरे ये काम निपटे तो चैन आये ना ... चल दबा दे !
वो बिस्तर पर उल्टी लेट गई और अपनी आंखें बन्द कर ली। मैं धीरे धीरे कमर दबाने लगा। उसे बहुत आराम मिल रहा था। मैं भाभी के पैर भी दबाने लगा था। उसे जाने कब नींद लग गई और वो सो गई। मुझे उसके खर्राटे की आवाज आने लगी। तभी मेरे मन का शैतान जाग उठा। मुझे लगा कि मैं उसकी नींद का फ़ायदा उठा सकता हूँ। बड़ी सतर्कता से मैंने भाभी का पेटीकोट उठाया और अन्दर झांक कर देखा। भाभी के दोनों मस्त चूतड़ बड़े ही उत्तेजक लग रहे थे। भाभी के चूतड़ थोड़े भारी भी थे। मैंने एक बार भाभी को देखा और पेटीकोट के अन्दर हाथ घुसा दिया। बहुत ही धीरे से मैंने भाभी के पृष्ट उभारों को हाथ से छू कर जायजा लिया। मेरा मन हुआ कि उसे काट खाऊं। फिर सावधानी से मैंने पेटीकोट को नीचे कर दिया। मेरा लण्ड खड़ा हो गया था।
तभी भाभी ने करवट ली और सीधी हो गई। मैं जल्दी से दूर हो गया, पर वो अभी भी सो ही रही थी। मुझे फिर एक मौका और मिला और मैंने एक बार से भाभी का पेटीकोट ऊपर करके उसकी चूत के दर्शन कर लिये। छोटे छोटे बाल थे और दोनों लब उभरे हुये थे। मैंने सावधानी से भाभी की ओर देखा और झुक कर उसकी चूत को चूम लिया। चूत सूखी थी ... एक नारी शरीर की खुशबू सी आई। अभी तक तो सभी कुछ सही चल रहा था। मैंने भाभी के ब्लाऊज के बटन भी खोल दिये ... उनके दोनों स्तन पर्वत से उठे हुये मेरे सामने आ गये थे। भाभी के जाग जाने का खतरा था सो मैंने अब बस करना ही उचित समझा। पर अब ब्लाऊज के बटन कैसे लगाऊं, ब्लाऊज तो तंग था। ब्लाऊज के बटन बंद करने से तो वो जाग जाती। मैंने कमरे से निकल जाना ही बेहतर समझा।
मैं नहाने के लिये स्नानघर में घुस गया। मेरे खड़े लण्ड को मैंने मुठ मारा और अपना वीर्य निकाल दिया। नहा धो कर मैं बाहर आ गया। तब तब भाभी जाग गई थी और आश्चर्य से अपना खुला हुआ ब्लाऊज देख रही थी। उसने मुझे देखा तो झेंप गई और हुक बंद करने लगी। समय देखा तो दस बज चुके थे। मैं फिर कॉलेज चला गया था।
दूसरे दिन भी भाभी ने मुझे फिर से पीठ दबाने को कहा और उल्टी लेट गई। आज मैं भाभी की पीठ दबा कम रहा था बल्कि उसे सहला रहा था। बीच बीच में उसके चूतड़ों को भी छू लेता था। मैंने देखा कि भाभी आज भी सो गई थी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था। मैंने हौले से भाभी के चूतड़ों को ऊपर से ही सहलाया। फिर उसके स्तनों को सहलाने लगा। अचानक भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया।
यह क्या कर हो तुम... क्या कल भी तुमने मेरे साथ ऐसे किया था? भाभी ने मुझे एक थप्पड़ मार दिया।
मेरी सारी आशिकी धरी रह गई। मैं बुरी तरह से घबरा उठा था।
भाभी, सॉरी... माफ़ कर देना ... मैं बहक गया था...
भूल गये कि मैं तुम्हारी भाभी हूँ ...
मेरी निगाहें शरम से झुक गई। मैं धीरे से उठा और कमरे से निकल गया। मेरा मन ग्लानि से भर गया था। मैं उस घड़ी को कोस रहा था जब मैंने यह हरकत की थी। दो तीन दिन तक तो मेरी हिम्मत ही नहीं हुई रीता भाभी से आंख मिलाने की। फिर एक दिन मैंने धीरे से किचन में बर्तन धोते हुये भाभी से माफ़ी मांग ली।
भाभी ने मुझे मुस्करा कर कहा- किस बात की माफ़ी ... तुम उस दिन से नाराज हो गये थे, तो मुझे ही अच्छा नहीं लग रहा था, सच बताऊँ तो माफ़ी मुझे मांगनी चाहिये थी !
मेरा मन हल्का हो गया, और भाभी ने भी मुझे गालों पर चूम लिया था। काम समाप्त होते होते साढ़े नौ बज गये थे। भाभी मेरे कमरे में आई और धम्म से बिस्तर पर उल्टी लेट गई।
चल दबा दे मेरी पीठ ... शरमा मत ...
मैंने चुपचाप उसकी पीठ मसल दी। उसे थोड़ा अजीब सा लगा। वो उठ कर बैठ गई- अच्छा चल तू लेट जा, मैं तेरे पैर दबा देती हूँ...
अरे नहीं भाभी, बस ठीक है...
अरे चल ना ... लेट जा ...
भाभी के फिर से वही अपनापन देख कर मैं खुश हो गया। मैं बिस्तर पर सीधा लेट गया। भाभी मेरे पजामे के ऊपर से ही मेरे दोनों पांव दबाने लगी। धीरे-धीरे वो मेरी जांघो तक आ गई। मेरे शरीर में विचित्र सी गुदगुदी होने लगी।
मेरा लण्ड जाने कब खड़ा हो गया और पजामे में से उभर कर बाहर अपनी छवि दिखाने लगा। भाभी बड़े चाव से मेरे खड़े लण्ड को निहार रही थी। उसकी आंखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे थे। उसके चेहरे पर वासना का भूत नजर आने लगा था। मेरी जांघे सहलाने और दबाने से मेरे शरीर में सिरहन सी होने लगी थी। लण्ड कड़क होने लगा था। बिना चड्डी के लण्ड पजामे के भीतर लहराने लगा था।
भाभी के हाथ की मुठ्ठियाँ बार बार लण्ड के पास भिंचने लगी थी, मानो वो लण्ड को पकड़ कर मसल देना चाहती हों।
भाभी के हाथ मेरी जांघों के ऊपर तक और लण्ड पास तक जोर जोर से दबा रहे थे।
नशे में मेरी आँखें बंद सी होने लगी थी। लण्ड में बहुत मिठास सी भरती जा रही थी। तभी शायद भाभी का मन बहक उठा और अपनी सारी मर्यादायें तोड़ कर उन्होंने मेरा लण्ड पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगी।
मैं तड़प उठा... पर उसका हाथ मजबूती से लण्ड पर जमा था। मैंने उत्तेजना से भर कर करवट लेनी चाही पर उसने मेरा लण्ड नही छोड़ा। भाभी के मुख से सिसकारियाँ निकल रही थी। उसका दूसरा हाथ अपनी चूत को मल रहा था। भाभी मुठ भर कर ऊपर नीचे हाथ चला कर मेरे लण्ड को मसलने लगी।
भाभी, हाय रे ... बस करो ... आह्ह्ह्ह ! तभी लण्ड से मेरा वीर्य निकल पड़ा। मेरा पजामा ऊपर तक भीग गया और ढेर सारे माल ने मेरा लण्ड और नीचे की गोलियां तक गीली कर दी। मैंने उठ कर भाभी के स्तन दबा दिये, पर भाभी अपने आप को छुड़ा कर भाग गई। मुझे कुछ समझ में नहीं आया ... । मैं जल्दी से स्नानघर में जाकर नहा कर आ गया।
मैं भाभी के कमरे में गया तो उसने अपने आपको बाथरूम में बंद कर लिया।
तुम जाओ यहां से ...
पर बात तो सुनो ... !
नहीं... बस जाओ, मुझे बहुत लाज आ रही है !
मैं कॉलेज चला गया। मेरा मन भटक गया था। क्लास में भी मन नही लगा।
लंच पर डेढ़-दो बजे :
मम्मी स्कूल से आ चुकी थी, पापा भी आ गये थे। भाभी की बड़ी-बड़ी आंखे नीची झुकी हुई, सभी को भोजन परोस रही थी। भोजन के बाद भाभी के कमरे में गया तो मुझे देख कर उसने अपना चेहरा छुपा लिया।
कोई देख लेगा, तुम जाओ ना ...
मुझे इस शर्म का मतलब समझ में नहीं आया। दूसरे दिन मैं भाभी के साथ काम करता रहा पर वो अपना मुख मुझसे छिपाती रही। मैं बेचैन हो उठा। काम समाप्त होने पर मैंने भाभी को उसके कमरे में घेर ही लिया।
भाभी, प्लीज मुझसे बात करो ना !!
भैया, सॉरी ... गलती हो गई कल ...
कैसी बाते करती हो ... भाभी सच बताऊँ तो आप बहुत अच्छी हैं !
नीरू, पर मैंने तुम्हे तो मारा भी था ना ? !!
चलो बात बराबर हो गई, पहले मैंने गलती की थी, कल आपने फ़ाऊल किया था, बस ?
हम दोनों ने अब शर्म छोड़ सी दी थी। वो मुझसे रोज अपनी पीठ दबवाती, शायद मजे लेने के लिये ! मैं भी उसे सहला सहला कर मस्त कर देता था। फिर वो भी मेरी पीठ दबा देती थी, मेरी टांगें, जांघें मस्त हो कर दबाती थी, फिर मेरे लण्ड के कड़कपन को जी कड़ा करके जी भर कर निहारती थी।भाभी धीरे से आकर मेरे गले लग गई।यह सिलसिला बहुत दिनों तक चलता रहा। हम दोनों इस कार्य में वासना में लोटपोट हो जाते थे। हाँ, एक दो बार मैंने भाभी के मम्मे भी दबा दिये थे, उसे बहुत ही मजा आया था। वो भी जोश में आकर मेरा लण्ड दो तीन बार दबा चुकी थी। एक बार यह दूरी भी मिट गई।
एक दिन मालिश के दौरान भाभी ने कहा- नीरू, एक बात कहूँ?
मैंने प्रश्नवाचक निगाहों से उसे देखा। उसकी नजरें झुक गई।
आज अपना पजामा उतार दो ... मुझे देखना है ! कहते कहते भाभी हिचकिचा सी गई।
तो मैं अपनी आंखे बंद कर लेता हूँ, मेरा पजामा नीचे खींच लो !
नहीं, आंखे बंद नहीं करो... पर मुझे मत देखना !
भाभी ने धीरे से मेरा पजामा खींच कर नीचे खिसका दिया। मैं उसके सुन्दर से चेहरे को एकटक देखता रहा। उसके चेहरे पर आते जाते भाव देखने लगा। उसकी आंखें नशीली हो उठी थी। लाल डोरे उभर आये थे।
मत देखो ना, शरम आती है !
कब तक शरमाओगी भाभी ... जी खोल कर करो जो करना है।
वो बिस्तर के नीचे मेरे पास आ गई और मेरी आंखों पर अपना हाथ रख दिया। मेरे लण्ड की लाल टोपी को उसने उघाड़ लिया और उस पर झुक गई। मेरा लण्ड उसने मुख में भर लिया। मेरे मुख से एक सिसकी निकल पड़ी। भाभी ने मुझे मुड़ कर देखा- भैया, कैसा लगा ... और करूँ क्या ?
भाभी पूरा अन्दर तक घुसेड़ ले, बहुत मजा आ रहा है ! मैने भाभी के चूतड़ों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा। उसका जिस्म मेरे और करीब आ गया। वो मेरे ऊपर चढ़ गई ... उसने अपना पेटीकोट ऊपर खींच लिया और अपनी नंगी चूत मेरे मुख पर जमा दी। उसकी गीली चूत से मेरा मुख भी गीला हो गया था। एक तेज वीर्य युक्त सुगंध मुझे आई। यह जवानी से लदी स्त्री के यौनस्त्राव की सुगन्ध थी।
मेरी जीभ लपलपा उठी। उसकी प्यारी सी खुली हुई चूत को मैं चाटने लगा, भाभी सिसकने लगी। भाभी अपने हाथ से अपने पेटीकोट को मेरे चेहरे पर डाल कर अपना नंगापन छुपाने लगी। तभी उसका कड़ा दाना मेरी जीभ से टकरा गया और उसके मुख से जोर से आह निकल गई। वो अपने पांव समेट कर ऊंची हो गई। उसकी प्यारी सी रसीली चूत मुझे अब साफ़ दिख रही थी। उसका बड़ा सा दाना साफ़ चूत के ऊपर नजर आ रहा था। उसकी गाण्ड के बीच उसका मुस्कराता हुया छोटा सा भूरा सा छेद अन्दर बाहर सिकुड़ता हुआ नजर आ रहा था।
मैंने अपनी अंगुली थूक से गीली करके उसके छेद में दबा दी और उसमें गुदगुदी करता हुआ उसके आस पास अंगुली घुमाने लगा। उसने अपनी गाण्ड का छेद ढीला कर दिया और मैंने हौले से अपनी एक अंगुली छेद में घुसा दी। साथ ही में मैंने उसकी चूत फिर से अपने मुख से चिपका ली।
उसने भी यही किया, लण्ड चूसते चूसते मेरी गाण्ड में अंगुली घुसा कर घुमाने लगी। हम दोनों उत्तेजना के सागर मे गोते लगा रहे थे। काफ़ी देर तक यह खेल खेलने के पश्चात भाभी उठ गई। उसकी आंखें वासना से गुलाबी हो गई थी। मेरी नाक में, मुख मण्डल पर उसकी चूत की चिकनाई फ़ैली हुई थी। वो घूम कर मेरी ओर हो गई और मेरे लण्ड पर बैठ गई।
भाभी, कैसा मजा आ रहा है...?
भाभी ने मेरे होठों पर अपनी अंगुली रख दी। फिर एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ा और उसे हिलाया। तन्नाया हुआ लण्ड एक मस्त डाली की तरह झूल गया। फिर उसने लण्ड का लाल टोपा अपनी चूत की दरार पर रख दिया। और अपनी चूचियों को मेरी नजरों के आगे झुला दिया। वो मुझ पर झुकी जा रही थी। मैंने अनायास ही उसके दोनों स्तन हाथों में थाम लिये और उसके कड़े चुचूक मसल डाले। मेरा लण्ड उसकी चूत मे फ़िसलता हुआ अन्दर समाने लगा। एक तेज मीठी सी गुदगुदी लण्ड में उठने लगी। मेरे शरीर का रोम रोम पिघलने लगा।
मेरी मांऽऽऽऽ ! आह री ... मर गई मैं तो... !!!
भाभीऽऽऽऽ ... उफ़्फ़्फ़ ! जोर से घुसेड़ो ... ! मेरे मुख से बरबस निकल पड़ा।
पूरा लण्ड घुसेड़ने के बाद वो मुझ पर अपना भार डाल कर लेट गई और धीरे-धीरे चूत घिसने लगी। मैं असीम आनन्द में खो चला !!! भाभी भी मदमस्त हो कर आंखें बन्द किये अपनी चूत ऊपर नीचे घिसने लगी थी। मेरी कमर भी अपने आप ही ताल मिलाने लग गई थी। वो कभी ऊपर उठ कर अपने स्तन को देखती और मुझे उसे और जोर से दबाने को कहती और फिर मस्ती में चीख सी उठती थी।
अब उसकी रफ़्तार बढ़ने लगी थी। उसके केश मेरे चेहरे पर गिरे जा रहे थे। उसके पतले अधर पत्तियों जैसे कांप रहे थे। उसका यह वासनामय रूप किसी काम की देवी की तरह लग रहा था। तभी उसके मुख से एक चीख सी निकली और वो झड़ने लगी- हाय मेरे नीरू, मैं तो गई... मेरा तो निकला...
उसकी चूत में लहरें चलने लगी। तभी मुझे भी लगा कि मेरा माल निकलने को है, मैंने उसे नीचे की ओर खींच कर दबा लिया। वो कराह उठी और मेरा रस उसकी चूत में भरने लगा। हम दोनों कुछ देर तक झड़ने के बाद भी यूँ ही पड़े रहे, फिर भाभी मेरे ऊपर से हट गई। उसका पेटीकोट कमर से नीचे परदे की भांति नीचे गिर कर उसे ढक लिया। उसने जल्दी से बटन लगा लिये।
चलो पजामा ऊपर खींच लो...
भाभी बहुत मजा आया ... एक बार और करें ...?
ओय होये ... अब लगा ना चस्का, आज तेरे भैया की नाईट ड्यूटी भी है, रात को देखेंगे ! भाभी ने दूसरे दौर की सहमति दे दी, पर रात को।
मैं तैयार हो कर कॉलेज चला गया। सारे दिन गुमसुम सा रहा, चुदाई की मीठी-मीठी यादें पीछा नहीं छोड़ रही थी। बड़ी मुश्किल से शाम आई तो रात आने का नाम ही नहीं ले रही थी।
घर के सभी लोग सो चुके थे। भाभी ने अपना कमरा अन्दर से बन्द करके अपनी चौक की खिड़की खोली और बाहर कूद आई ताकि लगे कि कमरा तो अन्दर से बंद है।
और मेरे कमरे में आते ही दरवाजा ठीक से बंद कर दिया। लाईट बन्द करके वो मेरे बिस्तर में मेरे साथ लेट गई। भाभी धीरे से फ़ुसफ़ुसाई- नीरू, आज तबला बजा दे...
मेरा लण्ड तो पहले ही बेताब हो रहा था, लग रहा था कि नई नई शादी हुई हो जैसे !!!
तबला क्या ... ? बोलो ना... !
वो हिचकचाते हुये बोली- श्... श्... वो, मेरा मतलब है गाण्ड बजानी है !
वो कैसे ...
म बोलते बहुत हो ... गाण्ड नहीं मारी है क्या ? वो झुंझला कर बोली।
मैंने चुप्पी साध ली और पेटीकोट ऊपर कर दिया। मैंने भी अपना पजामा उतार लिया और अपना लण्ड उसकी प्यारी सी दरार में घुसा दिया। उसने अपनी गाण्ड में चिकनाई लगा रखी थी। सो देखते ही देखते लण्ड उसके टाईट छेद में घुस पड़ा।
आनन्द भरी सिसकियाँ एक बार फिर से गूंज उठी। उसकी गाण्ड चुदने लगी। मेरे लिये यह सब एक आनन्ददायक घटना थी... अब हम रोज ही अपनी वासना शांत कर लेते थे। भाभी का स्नेह मुझ पर दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा था। सच पूछो तो मैं भी रीता भाभी के बिना नहीं रह पाता था।
मेरे देवर ने मुझे अपनी कहानी लिखने को कहा तो मैंने उसी को अपनी कलम दे दी।
बीते दिन एक सपने की तरह लगते हैं ! हैं ना ... ? कोई ऐसा प्यारा सा इन्सान मिल जाये जो किसी की सभी बाते गुप्त रखते हुये जिन्दगी को रंगीन बना दे और काश ऐसे दिन कभी खत्म ना हो ...
मैं आसमान में सितारों के साथ विचरण करती रहूँ, देवर जैसा कोई है क्या ...